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चिटफंड कंपनियों में निवेशकों के डूबे पैसे वापस दिलाने सांसद को सौंपा ज्ञापन, कहा भाजपा शासनकाल में ही मंत्रियों व विधायकों ने किया था कंपनियों का उद्घाटन


रायपुर। चिटफंड कंपनियों में निवेशकों की डूबी हुई राशि को वापस दिलाने की मांग करते हुए रायपुर सांसद सुनील सोनी को छत्तीसगढ़ अभिकर्ता एवं निवेशक कल्याण संघ ने ज्ञापन सौंपा है। सांसद को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया है कि बीजेपी शासनकाल में भारत सरकार कार्पोरेट कार्य मंत्रालय रजिस्ट्रार कार्यालय से पंजीकरण प्रमाण प्राप्त कर कंपनियों का आपके ही मंत्रियों व सांसद, विधायकों द्वारा उद्घाटन किया गया और छग के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित हुआ। कई कंपनियों को भारतीय रिजर्व बैंक से अनुबंधित होना और उत्कृष्ट कार्य के लिए आईएसओ प्रतीक चिन्ह मिलना, उस कंपनी के क्रेडिट व कार्यशील पूंजी को मजबूत होना दर्शाता है। इसी को देखकर छग के शिक्षित बेरोजगार लोग आयोजित रोजगार मेला में नियुक्ति पत्र प्राप्त कर काम किया। यदि बीजेपी शासनकाल में रोजगार मुहैया कराया जाता तो शायद ही यह गोरखधंधा चलता। नियमत: पंजीकृत संस्था का प्रत्येक वर्ष ऑडिट होना चाहिए। यह कार्य पूर्ववर्ती सरकार द्वारा नहीं कराया गया अर्थात् खुली छूट दे रखा था। जब उनके प्लान व टेबल के अनुसार समयावधि पूर्ण होने पर राशि वापसी की बारी आई तो कंपनियां ऑफिस बंद कर भाग गई। जबकि सभी कंपनियां संबंधित नगर पालिका से अनुज्ञिया पत्र ले रखा था। समय रहते कार्रवाई की गई होती तो सभी कंपनियों के मालिक एवं कर्ताधर्ता पकड़े जाते, लेकिन ऐसा न कर उन्हें भागने का पूर्ण अवसर दिया गया। इस बीच अभिकर्ता एवं निवेशकों ने संघ बनाकर प्रदर्शन किया। इस पर राशि वापस दिलवाना तो दूर उल्टा कंपनियों का नामकरण चिटफंड कर दिया गया। समर्थन मूल्य में धान खरीदी, गोधन योजना, शराबबंदी, संसदीय सचिवों की नियुक्ति, पुर्नवास, अपनी वेतन बढ़ाने का मुद्दा विधानसभा और लोकसभा में उठाते हैं, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आप लोग चिटफंड मामले में प्रश्र नहीं पूछते।

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