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शाला विकास समिति और खेल के नाम पर हो रही थी सरकारी स्कूलों में पालकों से वसूली, राज्य शासन ने जारी किया आदेश, छात्रों को निशुल्क प्रवेश देने डीईओ और बीईओ व्यवस्था सुनिश्चित करने दिए निर्देश

रायपुर। निजी स्कूलों की तरह प्रदेश के कुछ जिलों में सरकारी स्कूल के प्राचार्यो द्वारा भी छात्रों पर फीस के लिए दबाव बनाने की शिकायतें राज्य शासन को मिल रही थी। इस पर लोक शिक्षण संचालानालय ने इसे संज्ञान में लेकर सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों को निशुल्क प्रवेश देने के लिए डीईओ और बीईओ को व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आदेशित किया गया है। प्रदेश के सभी शासकीय स्कूलों में विद्यार्थियों को निःशुल्क प्रवेश देने के निर्देश संचालक लोक शिक्षण द्वारा जारी किया गया है। संचालक स्कूल शिक्षा ने सभी संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग और जिला शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने संभाग और जिले के अंतर्गत शासकीय स्कूलों में विद्यार्थियों का निःशुल्क प्रवेश की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग और जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी निर्देश में कहा गया है कि कुछ जिलों से यह शिकायत प्राप्त हो रही है कि विद्यार्थियों को शासकीय शाला में प्रवेश के दौरान स्थानीय निधियों जैसे-ए.एफ., पी.बी.एफ., स्काउट, रेडक्राॅस, शाला विकास आदि शुल्क लिया जा रहा है। वर्तमान में समस्त शिक्षण संस्थाएं बंद हैं अतः किसी भी छात्र से शिक्षण संस्थान बंद रहने तक कोई भी शुल्क नहीं लिया जाए। राज्य के कई जिलों से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शिकायत मिल रही थी कि कोरोना की वजह से बंद सरकारी स्कूलों ने भी छात्रों पर फीस के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। शिक्षण शुल्क के बजाय ऐसे स्कूलों ने छात्रों पर आर्थिक बोझ डालने के कई रास्ते निकाल लिए हैं। शाला विकास समिति के नाम पर या खेलकूद, स्काउट, साइंस, रेडक्रास फंड, परीक्षा और नामांकन वगैरह के लिए हजार से 12 सौ रुपए तक लिए जाने की शिकायत मिल रही थी।

 

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