छत्तीसगढ़रायगढ़शिक्षा

घने जंगलों के बीच ज्ञान ज्योति फैला रहा निरंजन पटेल का विद्यामंदिर

रायगढ़. जिस तरह खुशबू की महक दूर तक जाती है, ठीक उसी तरह श्रेष्ठ कार्यों की आभा दूर तक फैलती है। ऐसे ही धरमजयगढ़ विकासखंड के शिक्षक हैं श्री नरेन्द्र पटेल जिन्होंने सुदूर वनांचल एवं हाथी प्रभावित ग्राम लामीखार में आदिवासी बच्चों के लिए अभावों के बीच शिक्षा का एक ऐसा मंदिर ऐसा सजाया है, जो ज्ञानज्योति फैलाने के साथ ही औरों के लिए कर्तव्य परायणता की मिसाल पेश कर रहा है।

समस्याएं व चुनौतियां सब बौने साबित
कोरोना संकट के बीच बच्चों की पढ़ाई जारी रहे इसके लिए लाउडस्पीकर लगाकर गांव में पढ़ाने के नवाचार की शुरुआत करने वाले शिक्षक हैं श्री निरंजन पटेल। उनके द्वारा शासकीय प्राथमिक शाला लामीखार में शुरू किए गए लाउड स्पीकर गुरूजी के मॉडल को जिसे बाद में पूरे प्रदेश में अपनाया गया। शिक्षक श्री नरेन्द्र पटेल का स्कूल में वैसे तो सीमित संसाधन ही हैं, फिर भी शिक्षक श्री पटेल ने इस विद्यालय में संसाधनों को कुछ ऐसा सहेजा है और खुद से कुछ सुविधाएं जुटायी हैं कि बच्चों के अध्ययन के लिहाज से जरूरी चीजों की कमी महसूस नही होती है। इस शिक्षक ने अपने विद्यालय को संवारने और बच्चों की जिंदगी को बेहतर बनाने में जो कार्य किया हैए वह अत्यंत प्रेरणादायी है। यह दिखाता है कि जुनून और जज्बे के दम पर क्या कुछ नही किया जा सकता।
स्मार्ट टीवी, लैब और लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं मौजूद
शिक्षक निरंजन पटेल ने खुद के खर्च से अपने स्कूल में स्मार्ट टीवी लगा कर पूरे पाठ्यक्रम को ऑनलाइन तैयार किया है। जिसमे विविध शैक्षणिक गतिविधियां बच्चों को दिखायी जाती हैं। पालक और गांव के लोग भी इसमें सहभागी होते हैं। स्कूल भवन में उपलब्ध सीमित कमरों को इस प्रकार व्यवस्थित किया गया है कि वहां कक्षाओं के साथ एक समृद्ध लाइब्रेरी तथा बच्चों के सीखने के लिए विभिन्न प्रकार के टीएलएम और सामग्री कबाड़ से निर्मित कर रखा गया है। रचनात्मकता ऐसी है कि दूसरे स्कूलों के लिए जो कचरा होता हैं वह सब इस स्कूल में एकत्रित कर उसे शिक्षण सामग्री के रूप में रिसायकल किया गया है। एक अतिरिक्त कक्ष का भवन है, उसे पूरा प्रयोगशाला बनाया गया है। स्कूल के पीछे बरगद के पेड़ के नीचे बच्चों के लिए गतिविधि के स्थान के रूप में विकसित किया गया है। स्कूल में फिलहाल पक्का बाउंड्री वाल और प्रवेश द्वार नहीं बन पाया है किंतु स्थानीय संसाधनों से बाड़ लगाकर फलदार और फूलदार बगीचा बनाया गया है। परिसर में पंप लगाकर बागवानी को बढ़ावा देने की सुविधा भी मौजूद है।
कोरोना काल मे भी बहती रही शिक्षा की अविरल धारा
श्री निरंजन पटेल और उसके साथी शिक्षक श्री बूंद सिंह पोर्ते दोनों ने मिलकर कोरोना संकट के चलते स्कूल बंद होने के कारण गांव के बरामदे में अलग-अलग कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। बच्चों में पढ़ाई का स्तर बहुत अच्छा है। उनकी गणित, पर्यावरण, भाषा में अच्छी पकड़ है। बच्चों को खेल के जरिए गणित की सीख दी जाती है। अन्य विषयों को पढ़ाने के लिए भी रोचक नवाचारों का उपयोग किया जाता है। इस विद्यालय के बेहतरी के लिए श्री निरंजन पटेल अपने स्वयं की भी पूंजी लगाकर कई रचनात्मक कार्य करते रहते हैं। विद्यालय के उन्नयन के लिए उनकी अपनी सोच है जिसे वे साकार कर रहे हैं। जंगल के भीतर चल रहा यह स्कूल बच्चों के जीवन में रंग भरने, उनमें शिक्षा के प्रति लगन और जज्बा बनाये रखने के लिए अपनी भूमिका पूरी जवाबदारी से निभा रहा है।

Live Share Market
 

जवाब जरूर दे 

इंडिया गठबंधन का पीएम दावेदार किसे बनाना चाहिए?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Back to top button