रायपुर। मोदी सरकार की जन विरोधी, कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ और कोरोना संकट के दौर में आम जनता को राहत देने की मांग पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी 25 और 26 अगस्त को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करेगी। माकपा 20 अगस्त से 16 सूत्रीय मांगपत्र पर देशव्यापी अभियान चला रही है। इन मांगों में अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर कानून 1979 को खत्म करने का प्रस्ताव वापस लेने तथा इसे और मजबूत बनाने, कोरोना आपदा से निपटने पीएम केयर्स फंड नामक निजी ट्रस्ट में जमा धनराशि को राज्यों को वितरित करने, कोरोना महामारी में मरने वालों के परिवारों को राष्ट्रीय आपदा कोष के प्रावधानों के अनुसार एकमुश्त आर्थिक मदद देने, आरक्षण के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने और सारे बैकलॉग पदों को भरने, जेलों में बंद सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा करने और पर्यावरण प्रभाव आंकलन के मसौदे को वापस लिए जाने की मांग शामिल हैं। माकपा राज्य सचिवमंडल द्वारा जारी एक बयान में कहा है कि कोरोना संकट की आड़ में जिन सत्यानाशी नीतियों को देश की जनता पर लादा जा रहा है, उसका नतीजा यही है कि आम जनता के सामने अपनी आजीविका और जिंदा रहने की समस्या है तो वहीं इस कोरोना काल में अंबानी एशिया का सबसे धनी व्यक्ति बन गया है और उसकी संपत्ति में 20 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। इसके बावजूद आर्थिक पैकेज का पूरा मुंह कॉर्पोरेट घरानों के लिए रियायतों की ओर मोड़ दिया गया है, जबकि आम जनता को कहा जा रहा है कि बैंकों से कर्ज लेकर जिंदा रहे। माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि स्टैण्डर्ड एंड पुअर द्वारा देश की जीडीपी में 11% से ज्यादा की गिरावट होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे स्पष्ट है कि एक लंबे समय के लिए देश आर्थिक मंदी में फंस गया है। इस मंदी से निकलने का एकमात्र रास्ता यही है कि आम जनता की जेब मे पैसे डालकर और मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उसकी क्रय शक्ति बढ़ाई जाए, ताकि बाजार में मांग पैदा हो और उद्योग–धंधों को गति मिले। इसके साथ ही सार्वजनिक कल्याण के कामों में सरकारी निवेश किया जाए और राष्ट्रीय संपदा को बेचने की नीति को पलटा जाए।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को राजधानी टाइम्स सीजी ने संपादित नहीं किया है, यह माकपा द्वारा जारी प्रेस रिलीज है, जिसे प्रकाशित की गई है।)