Digital Ration System : सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत अब उपभोक्ताओं को राशन की दुकान पर लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब देश में एक नई तकनीक आ रही है (Smart Ration ATM) जिसके ज़रिए मात्र 30 सेकेंड में 30 किलो तक अनाज मिल जाएगा। यह प्रणाली लोगों को सुविधाजनक, पारदर्शी और डिजिटल तरीके से अनाज वितरण की सुविधा देगी।
बुधवार को आयोजित मोबाइल कांग्रेस में एरिक्सन कंपनी ने इस अत्याधुनिक (Smart Ration ATM) मशीन का प्रदर्शन किया, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। यह एटीएम पूरी तरह बायोमेट्रिक तकनीक पर आधारित है और एक बार में 25 से 30 किलोग्राम तक राशन वितरित करने में सक्षम है।
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यदि किसी उपभोक्ता का राशन कोटा 15 किलो है, तो यह मशीन उसी मात्रा तक अनाज देगी। उपभोक्ता चाहे तो एक बार में केवल 5 किलो अनाज ले सकता है और बाकी बाद में निकाल सकता है। यानी उपभोक्ता देश के किसी भी हिस्से में रहते हुए अपने हिस्से का राशन (Smart Ration ATM) के माध्यम से प्राप्त कर सकेगा।
राज्य सरकारें कर रहीं पहल
उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में सरकारें इस तकनीक को अपनाने में अग्रणी हैं। बनारस, गोरखपुर और अहमदाबाद जैसे शहरों में पहले से ही (Smart Ration ATM) मशीनें स्थापित की जा चुकी हैं। इन मशीनों के जरिए राशन वितरण में पारदर्शिता और समय की बचत दोनों सुनिश्चित की जा रही है।
Smart Ration ATM 24 घंटे उपलब्ध सेवा
एरिक्सन कंपनी के अनुसार, एक मशीन की अधिकतम क्षमता 500 किलोग्राम तक है। यह केवल 30 सेकेंड में निर्धारित मात्रा का राशन वितरित कर सकती है। बायोमेट्रिक आधार से जुड़ने के कारण सरकार को हर लाभार्थी के वितरण का सटीक डाटा मिलेगा। अब उपभोक्ताओं को राशन दुकान खुलने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा क्योंकि यह सेवा 24 घंटे उपलब्ध रहेगी।
इस (Smart Ration ATM) के जरिए चावल, गेहूं और दाल जैसे प्रमुख अनाज वितरित किए जाएंगे। वर्तमान में सरकार लगभग 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मुफ्त राशन प्रदान कर रही है, जिसे अब और अधिक आधुनिक बनाया जा रहा है।
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रेलवे में सुरक्षा के लिए नई तकनीक
कार्यक्रम के दौरान एरिक्सन कंपनी ने प्रधानमंत्री के समक्ष रेलवे सुरक्षा में तकनीक के उपयोग की भी झलक दिखाई। कंपनी ने एक विशेष रोबोट का प्रदर्शन किया, जिसमें उच्च-गुणवत्ता वाले कैमरे और सेंसर लगे हैं। यह रोबोट ट्रेनों के हर कोच में जाकर चप्पे-चप्पे की निगरानी करेगा और डाटा रियल टाइम में सुरक्षा अधिकारियों तक पहुंचाएगा। यह पहल भविष्य में रेलवे सुरक्षा के लिए बेहद कारगर सिद्ध हो सकती है।