नव्य-भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में विराजमान रामलला (Ram Lalla 56 Bhog) की पूजा और भोग-राग पूरी राजसी परंपराओं के साथ संपन्न होती है। प्रतिदिन पांच बार प्रभु की आरती होती है और उससे पहले स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाता है। यहां शास्त्रानुसार प्रत्येक माह पुनर्वसु नक्षत्र के दिन रामलला को छप्पन भोग अर्पित करने की परंपरा है, लेकिन इस बार अगस्त माह विशेष रहेगा क्योंकि इस महीने चार बार आराध्य को छप्पन भोग का नैवेद्य चढ़ाया जाएगा।
मंदिर प्रशासन के प्रमुख गोपाल राव के मुताबिक, हर बड़े पर्व व विशेष तिथि पर रामलला का विशेष शृंगार होता है और छप्पन भोग लगाया जाता है। अगस्त में नौ अगस्त को रक्षाबंधन व पूर्णिमा, 16 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी, 20 अगस्त को पुनर्वसु नक्षत्र और 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी का पर्व है। इन सभी अवसरों पर भगवान को विशेष श्रृंगार के साथ छप्पन भोग अर्पित किया जाएगा। वहीं, 29 जुलाई को नागपंचमी पर भी यह भोग लगेगा। भक्तों के बीच यह प्रसाद बाद में वितरित भी किया जाता है।
Ram Lalla 56 Bhogकी दैनिक सेवा का पूरा क्रम
रामलला की दिनचर्या अलसुबह लगभग 3:45 बजे जागरण से आरंभ होती है। नित्य क्रिया के बाद ताजे फलों और पेड़ा का भोग अर्पित किया जाता है। इसके पश्चात धूप, दीप और नैवेद्य समर्पित कर मंगला आरती की जाती है। फिर अभिषेक और श्रृंगार का क्रम पूरा होता है और प्रात: 6 बजे श्रृंगार आरती की जाती है।
आरती से पहले फल और मधुपर्क चढ़ाया जाता है। इसके बाद सुबह 9 बजे बाल भोग और दोपहर 12 बजे संपूर्ण भोजन का भोग अर्पित किया जाता है। सायं 4 बजे पुनः बाल भोग और 7 बजे संध्या आरती से पहले लड्डू और पेड़े का भोग लगता है। रात्रि 9:30 बजे शयन आरती से पूर्व एक बार फिर संपूर्ण भोजन का भोग रामलला को अर्पित किया जाता है।
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