Chhattisgarh Weather Alert : बंगाल की खाड़ी में बने डीप प्रेशर एरिया (Rain Forecast CG) के कारण छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में आज बादल छाए रह सकते हैं। दक्षिण और मध्य क्षेत्र—बस्तर, धमतरी, महासमुंद, रायपुर–बिलासपुर संभाग में कहीं-कहीं हल्की बारिश या बूंदाबांदी की संभावना जताई गई है। किसानों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि कई जगह रबी फसलों की बुवाई जारी है और अचानक नमी बढ़ने से खेतों में कार्य प्रभावित हो सकता है।
(Rain Forecast CG) रात से ठंड में आई बढ़ोतरी
पिछली रात से न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग का कहना है कि अगले 24 घंटों में पारा 1–2 डिग्री तक और नीचे जा सकता है। इसके बाद अगले दो दिनों तक तापमान में किसी बड़े बदलाव की संभावना नहीं है। उत्तरी छत्तीसगढ़ सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया—के लिए शीतलहर का अलर्ट (Cold Wave Alert Chhattisgarh) जारी किया गया है।
(Health Advisory Cold Weather) स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी
स्वास्थ्य विभाग ने ठंड बढ़ने और मौसम में तेज उतार-चढ़ाव के चलते हाइपोथर्मिया, सर्दी-जुकाम और वायरल फीवर का खतरा बताया है। एडवाइजरी में कहा गया है
अनावश्यक बाहर न निकलें
यात्रा जरूरी हो तो गर्म कपड़ों का उपयोग करें
सुबह-शाम ठंडी हवा से बचाव करें
यह चेतावनी खासकर बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा रोगियों के लिए जारी की गई है।
(CG Temperature Update) तापमान का ताजा अपडेट
पिछले 24 घंटों में राज्य का सबसे अधिक तापमान 29.2°C दुर्ग में और सबसे कम 6.0°C अंबिकापुर में रिकॉर्ड किया गया। पिछले दस वर्षों में नवंबर में इतना कम न्यूनतम तापमान पहली बार दर्ज हुआ है।
(Rain Forecast CG) नवंबर महीने का ठंड का इतिहास
नवंबर महीना छत्तीसगढ़ में आमतौर पर ठंड की शुरुआत माना जाता है, लेकिन मौसम विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि यह महीना कई बार चरम मौसम का गवाह भी रहा है।
2 नवंबर 1935 : सबसे अधिक अधिकतम तापमान 35.6°C
22 नवंबर 1883 : सबसे कम न्यूनतम तापमान 8.3°C (अब तक की सबसे ठंडी नवंबर रात)
Rain Forecast CG बारिश के पुराने रिकॉर्ड
138.2 मिमी – नवंबर 1924 में पूरे महीने की सबसे अधिक वर्षा
70.4 मिमी – 2 नवंबर 1930 को एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि नवंबर में मौसम कई बार चरम पर पहुंचा है। कभी कड़ाके की ठंड तो कभी भारी बारिश।
किसानों को होगा आर्थिक नुकसान
बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम से संभावित बारिश (Rain Forecast CG) का सीधा असर खरीफ सीजन के धान पर पड़ सकता है। किसानों के लिए यह स्थिति बेहद चिंता का विषय है, क्योंकि कटाई–मिजाई का काम अभी भी कई इलाकों में जारी है। अचानक हुई बारिश से खेतों में पड़े धान को नमी लग सकती है, जिससे दाने काले पड़ने, गुणवत्ता घटने और तौल में कमी आने का खतरा बढ़ जाता है। इससे किसानों को सीधे आर्थिक नुकसान होगा।
वहीं दूसरी ओर प्रदेशभर के धान खरीदी केंद्रों में भी करोड़ों–अरबों रुपये का धान खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है। बारिश (Rain Forecast CG) की स्थिति बनती है तो इन केंद्रों में पड़े धान के भी भीगने का खतरा है, जिससे नुकसान की भरपाई संभव नहीं होगी। किसानों और खरीदी केंद्रों दोनों के लिए यह मौसम चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, इसलिए प्रशासन को बारिश से पहले प्रभावी सुरक्षा उपाय करने की आवश्यकता है।







