राजनीति

Raigarh Loksabha : ये लोकसभा सीट 1999 से है BJP का गढ़, कांग्रेस ने कई नेताओं को दिए मौके, हर बार मिली हार

Lok Sabha Election 2024 : देश भर में आम चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। आगामी अप्रैल-मई महीने में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित है। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटें हैं। 2019 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 9 सीटें मिली थीं। जबकि कांग्रेस को सिर्फ बस्तर और कोरबा लोकसभा सीट से ही संतोष करना पड़ा था। 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद आम चुनाव में वापसी की कोशिश में लगी हुई है, लेकिन सूबे के 11 में से बीजेपी के पास कुछ अटल सीटें हैं, इनमें रायगढ़ लोकसभा सीट (Raigarh Loksabha) भी शामिल है।

रायगढ़ लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। आदिवासी बहुल रायगढ़ लोकसभा (Raigarh Loksabha) अंतर्गत तीन जिलों रायगढ़, जशपुर और सारंगढ़-बिलाईगढ़ की 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें रायगढ़ जिले की रायगढ़ विस, खरसिया, लैलूंगा और धरमजयगढ़, जशपुर जिले की पत्थलगांव, कुनकुरी और जशपुर, वहीं सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की सारंगढ़ विधानसभा सीट शामिल है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक रायगढ़ लोकसभा (Raigarh Loksabha) सीट हैं। जहां पिछले 25 सालों से बीजेपी का कब्जा है। वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस सीट से लगातार 4 बार चुनाव जीत चुके हैं। लगातार 4 बार चुनाव जीतने के बाद भी 2019 में भाजपा ने विष्णुदेव साय की जगह गोमती साय को मैदान में उतारा था। बावजूद इसके कांग्रेस इस सीट को जीतने में कामयाब नहीं हुई। इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस ने अपने कई चेहरों को आजमाया, लेकिन हर बार कांग्रेस को निराशा ही हाथ लगी है।

इतिहास गवाह, यहां बीजेपी का ही दबदबा : रायगढ़ लोकसभा सीट का इतिहास काफी पुराना है। यह सीट 1962 में अस्तित्व में आई। तब से लेकर 2019 तक 15 दफे आम चुनाव हो चुके हैं। मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बनने के बाद कांग्रेस इस सीट पर बीजेपी को नहीं हरा पायी, लेकिन 1962 से लेकर 1999 तक छह बार जरुर पंजा का खाता खुला था।

1962 के चुनाव में संगठन रामराज्य परिषद के विजया भूषण सिंहदेव ने चुनाव जीता था। फिर 1967 में कांग्रेस की विजिया सिंह, 1971 में कांग्रेस के ही उम्मेद सिंह राठिया ने चुनाव जीता। 1977 में जनता पार्टी के नरहरि सिंह साईं, 1980 और 1984 में सारंगढ़ राजघराने की पुष्पा देवी सिंह दो बार सांसद चुनी गईं। इसके बाद 1989 में बीजेपी के नंद कुमार साय, 1991 में कांग्रेस की पुष्पा सिंह फिर चुनाव जीत गई। 1996 में बीजेपी के नंद कुमार साय, 1998 में कांग्रेस के अजीत जोगी ने चुनाव जीता।

छग गठन होने के बाद कांग्रेस का नहीं खुला खाता : मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद अब तक 5 आम चुनाव में रायगढ़ संसदीय सीट पर बीजेपी का कब्जा है। इस सीट पर छत्तीसगढ़ बनने के बाद 2004 में पहला लोकसभा चुनाव हुए। इसमें छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दूसरी बार सांसद बने। इसके पहले वे 1999 के चुनाव में भी जीते थे।

फिर 2009, 2014 में भी लगातार चार बार चुनाव जीते। मोदी सरकार में विष्णुदेव साय केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री भी रहे। लगातार 4 बार चुनाव जीतने के बाद भी 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने विष्णुदेव साय की जगह गोमती साय (वर्तमान में इस्तीफा दे चुकी) को मौका दिया गया। जहां उन्होंने कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया को हराया। वर्तमान में गोमती साय पत्थलगांव विधानसभा से विधायक हैं। वे संसद में इस संसदीय सीट से इस्तीफा दे चुकी हैं।

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