राजनीति

Mahasamund Loksabha : कभी था कांग्रेस का गढ़ अब है बीजेपी का राज, लगा चुकी जीत की हैट्रिक

Lok Sabha Election 2024 : छत्तीसगढ़ के महासमुंद लोकसभा सीट (Mahasamund Loksabha) हाई प्रोफाइल मानी जाती है। यह संसदीय सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रही है, लेकिन पिछले तीन बार यानि की 2009, 2014 और 2019 आम चुनाव में यहां बीजेपी जीत दर्ज कर रही है। इस लोकसभा सीट में तीन जिले महासमुंद, धमतरी और गरियाबंद की आठ विधानसभा शामिल है। इनमें महासमुंद जिले की सरायपाली, महासमुंद, बसना, गरियाबंद जिले के राजिम, खल्लारी और बिंद्रानवागढ़ वहीं धमतरी जिले की कुरूद विधानसभा शामिल है।

महासमुंद लोकसभा सीट का इतिहास : महासमुंद लोकसभा सीट (Mahasamund Loksabha) की इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1952 में यहां सबसे पहले चुनाव हुआ था। कांग्रेस पार्टी के श्योदास डागा चुनाव जीतकर आए थे। हालांकि इस साल उपचुनाव में कांग्रेस के ही मगनलाल बागड़ी चुनाव जीते थे। इसके बाद 1971 तक लगातार कांग्रेस ही जीती। विद्याचरण शुक्ल यहां के सांसद बने।

1977 में पहली बार यहां कमल खिला। जनता पार्टी के  बृजलाल वर्मा लगभग 80 हजार मतों से चुनाव जीते थे। इस तरह पहली बार महासमुंद में भाजपा (पूर्व में जनता पार्टी) की एंट्री हुई। वर्ष 1998 में फिर भाजपा के चंद्रशेखर साहू ने चुनाव जीता। 2009 से लगातार यहां भाजपा के सांसद चुने गए। अभी चुन्नीलाल साहू सांसद है।

2014 का चुनाव रहा सबसे ज्यादा चर्चित : 1952 से अब तक महासमुंद में 18 चुनाव हुए हैं। इनमें 12 बार कांग्रेस व कांग्रेस (आई) ने चुनाव जीता है। वहीं, एक बार 1989 के चुनाव में विद्याचरण शुक्ल जनता दल की टिकट पर जीते थे, जबकि भाजपा व जनता पार्टी यहां से पांच बार चुनाव जीतने में सफल रहीं। इन 18 चुनावों में 2014 का लोकसभा चुनाव सबसे ज्यादा चर्चा में रहा।

दरअसल, 2014 के चुनाव में भाजपा ने चंदूलाल साहू और कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व अजीत जोगी को प्रत्याशी बनाया था। भाजपा प्रत्याशी का वोट काटने यहां हमनाम प्रत्याशी उतारे गए थे। भाजपा व निर्दलीय सहित आठ चंदूलाल जबकि तीन चंदूराम साहू थे। कुल 11 चंदू मैदान में थे। चंदू नाम के 11 प्रत्याशी होने के बावजूद स्व अजीत जोगी महज 1217 वोटों से हार गए थे।

स्व विद्याचरण शुक्ल 6 बार जीते चुनाव : छत्तीसगढ़ की महासमुंद लोकसभा सीट (Mahasamund Loksabha) पर 2014 से पहले ये रिकॉर्ड रहा है कि किसी पार्टी को लगातार दो बार जीत नहीं मिली थी। लेकिन भाजपा के चंदूलाल साहू ने इस मिथक को तोड़ने में कामयाबी पाई। इस सीट पर विद्याचरण शुक्ल ने सर्वाधिक 6 बार जीत हासिल की तो वहीं भाजपा के चंद्रशेखर साहू के नाम 3 बार हारने का भी रिकॉर्ड है।

विद्याचरण शुक्ला ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत इसी लोकसभा से की थी। बतौर सांसद अपने नौ कार्यकाल में से विद्याचरण ने अपने पहले चुनाव समेत छह चुनाव महासमुंद से ही जीते। वर्ष 2004 में जब उन्होंने भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी, तो वे इसी निर्वाचन क्षेत्र में लौटकर आए। तब वे पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता अजीत जोगी से हार गए थे। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल इस सीट से 1999 में चुनाव जीतकर सांसद भी बने थे।

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