Fraud Case : कांग्रेस विधायक पर फर्जी हस्ताक्षर से 42 लाख निकालने का आरोप, पुलिस ने दर्ज किया केस

By admin
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Fraud Case

सीजी भास्कर, 03 अक्टूबर। जैजैपुर से कांग्रेस विधायक बालेश्वर साहू के खिलाफ सहकारी केंद्रीय बैंक चांपा और बम्हनीडीह शाखा से जुड़े बड़े (Fraud Case) में आपराधिक प्रकरण दर्ज हुआ है। यह मामला उनके सेवा सहकारी समिति प्रबंधक रहते हुए सामने आया है। फरसवानी निवासी राजकुमार शर्मा की शिकायत के बाद पुलिस ने विधायक समेत समिति के विक्रेता गौतम राठौर को भी आरोपी बनाया है।

कैसे हुआ खुलासा

चांपा थाना प्रभारी जेपी गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2015 से 2020 के बीच साहू सेवा सहकारी समिति बम्हनीडीह के प्रबंधक (Fraud Case) थे। आरोप है कि उन्होंने शिकायतकर्ता राजकुमार शर्मा को 50 एकड़ जमीन पर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लोन लेने के लिए तैयार किया। इसके बाद एचडीएफसी बैंक चांपा में खाता खुलवाकर उनसे ब्लैंक चेक लिए। इन्हीं चेक का उपयोग कर करीब 24 लाख रुपये अपने और पत्नी के खाते में स्थानांतरित कर दिए गए।

धोखाधड़ी का तरीका

पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों (Fraud Case) ने केवल चेक का ही इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि राजकुमार शर्मा, उनकी मां जयंतीन शर्मा और पत्नी नीता शर्मा के नाम पर फर्जी हस्ताक्षर और अंगूठा निशान लगाकर लगभग 42 लाख 78 हजार रुपये की निकासी भी कर ली। यह गड़बड़ी लंबे समय तक चलती रही और शिकायत मिलने के बाद ही इस (Fraud Case) का पर्दाफाश हुआ।

शिकायतकर्ता की आपबीती

राजकुमार शर्मा ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्हें बैंक रिकॉर्ड चेक करने पर पूरी सच्चाई का पता चला। उन्होंने स्पष्ट आरोप लगाया कि उनके साथ विश्वासघात कर बड़ी रकम की हेराफेरी की गई। इसी आधार पर पुलिस ने अपराध दर्ज कर जांच तेज कर दी है।

राजनीतिक हलचल

कांग्रेस विधायक के नाम जुड़ने से मामला राजनीतिक रूप से गंभीर हो गया है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साध सकता है। पुलिस का कहना है कि जांच निष्पक्ष होगी और किसी भी स्तर का दबाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आगे की जांच

पुलिस बैंक ट्रांजेक्शन की विस्तृत जानकारी जुटा रही है। दस्तावेजों और हस्ताक्षरों की फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी। यह भी देखा जा रहा है कि क्या इस (Fraud Case) में अन्य लोग भी शामिल रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही नए तथ्य सामने आएंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी। यह मामला सहकारी समितियों और बैंकों में पारदर्शिता और निगरानी तंत्र की कमी को उजागर करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि कड़े उपाय न किए गए तो भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी और भी सामने आ सकती है। (Fraud Case)

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