Tomato Farming Tips : टमाटर की खेती के लिए वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह, इन किस्मों से मिलेगा ज्यादा मुनाफा

By admin
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Pusa Tomato Varieties : कृषि वैज्ञानिकों ने उत्तर भारत के किसानों के लिए टमाटर की बसंत–ग्रीष्म सीजन की फसल को लेकर (Tomato Farming Tips) अहम सलाह जारी की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान इस समय नर्सरी में बीजों की बुवाई शुरू कर दें, ताकि दिसंबर–जनवरी में पौध रोपाई सही समय पर की जा सके। टमाटर वर्गीय सब्जियों को देश में प्रमुख सब्जी फसलों में शामिल किया जाता है और बढ़ती कीमतों के बीच पूसा की उन्नत किस्में खेती को अधिक लाभकारी बना सकती हैं।

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Tomato Farming Tips पूसा की उच्च उत्पादक किस्में

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि पूसा हाइब्रिड-1, पूसा उपहार, पूसा-120, पूसा शीतल और पूसा सदाबहार जैसी उन्नत किस्में (Pusa Tomato Varieties) किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर बाजार मूल्य दिला सकती हैं। उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में इन किस्मों की खेती फरवरी–मार्च की मांग को देखते हुए अधिक लाभदायक सिद्ध होती है। वर्तमान में टमाटर के बढ़ते दाम को देखते हुए ये किस्में किसानों के लिए बेहतरीन विकल्प हैं।

Tomato Farming Tips मिट्टी और रोपाई की सलाह

उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट या दोमट भूमि टमाटर (Tomato Farming Tips) के लिए आदर्श मानी जाती है। इसमें पर्याप्त जीवांश होना जरूरी है। उन्नत किस्मों के लिए 350–400 ग्राम बीज और संकर किस्मों के लिए 200–250 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर काफी है। सीमित बढ़वार वाली किस्मों की रोपाई (Tomato Nursery Management) 60×60 सें.मी. पर और असीमित बढ़वार वाली किस्मों की रोपाई 75–90×60 सें.मी. की दूरी पर शाम के समय करें।

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Tomato Farming Tips पोषक तत्व प्रबंधन

रोपाई से एक माह पहले 20–25 टन गोबर/कंपोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर मिलाना चाहिए।
उन्नत किस्मों में 75:100:50 और संकर किस्मों में 50:250:100 NPK की बेसल डोज आवश्यक है।
20–25 दिन बाद पहली टॉप ड्रेसिंग और 45–50 दिन बाद दूसरी टॉप ड्रेसिंग अवश्य करें।

निराई–गुड़ाई व मल्चिंग

फसल की अच्छी बढ़वार के लिए हल्की निराई–गुड़ाई करते रहें। असीमित बढ़वार वाली किस्मों को सहारा न देने से उपज घट जाती है। सूखे घास–फूस या पुआल की पलवार (Tomato Farming Tips) बिछाने से नमी बनी रहती है और खरपतवार नियंत्रण भी आसान होता है।

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रोग नियंत्रण

झुलसा रोग रोकने के लिए स्वस्थ बीजों का उपयोग करें और फसल चक्र अपनाएं।
मैंकोजेब 2 ग्राम/लीटर, जिनेब 2 ग्राम/लीटर, साइमोक्सानिल+मैंकोजेब 1.5–2 ग्राम/लीटर या एजोक्सीस्ट्रॉबिन 1 ग्राम/लीटर घोल का छिड़काव प्रभावी माना गया है।

 

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