रायपुर. राज्य मनेरगा कार्यालय ने गुड गवर्नेंस इनिशिएटिव्ह मॉडल ग्राम पंचायत कार्यक्रम के दूसरे चरण का समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। कार्यक्रम के दूसरे चरण में चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में 84 ग्राम पंचायतों को मॉडल ग्राम पंचायत बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें प्रदेश के सभी जिलों की तीन-तीन ग्राम पंचायतें शामिल हैं। कार्यक्रम के पहले चरण में पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 81 ग्राम पंचायतों को मॉडल पंचायत बनाया गया है। मनरेगा आयुक्त मोहम्मद कैसर अब्दुल हक ने सभी जिलों के कलेक्टरों को परिपत्र जारी कर गुड गवर्नेंस इनिशिएटिव्ह मॉडल ग्राम पंचायत कार्यक्रम में व्यक्तिगत रुचि लेते हुए इसका समयबद्ध क्रियान्वयन करने कहा है। उन्होंने साप्ताहिक समीक्षा बैठक (टी.एल.) में प्राथमिक एजेंडे के रूप में शामिल करते हुए इसकी नियमित समीक्षा के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कार्यक्रम के क्रियान्वयन के दौरान वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण से बचने के सभी उपायों एवं सावधानियों को अनिवार्य रूप से अपनाने कहा है।
प्रत्येक जिले से तीन ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया – मनरेगा आयुक्त ने परिपत्र में कहा है कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायत स्तर पर गुड गवर्नेंस इनिशिएटिव्ह के रूप में जॉब-कॉर्ड, सात तरह के रजिस्टर, वर्क फाइल के संधारण और कार्यस्थलों पर नागरिक सूचना पटल के निर्माण के लिए विगत वर्षों में सुझावात्मक फ्रेमवर्क एवं बुकलेट जारी किए गए थे। गुड गवर्नेंस इनिशिएटिव्ह के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मंत्रालय के निर्देशों के अनुरूप प्रदेश में गुड गवर्नेंस इनिशिएटिव्ह मॉडल ग्राम पंचायत कार्यक्रम लागू किया गया था। इसके पहले चरण में पिछले वर्ष 81 ग्राम पंचायतों को मॉडल ग्राम पंचायत बनाया गया है। इस वर्ष दूसरे चरण में इसे विस्तारित करते हुए 84 ग्राम पंचायतों को गुड गवर्नेंस इनिशिएटिव्ह मॉडल ग्राम पंचायत बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए प्रत्येक जिले से तीन ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है।
गुड गवर्नेंस इनिशिएटिव्ह मॉडल ग्राम पंचायत कार्यक्रम- केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के ‘गुड गवर्नेंस इनिशिएटिव्ह मॉडल ग्राम पंचायत’ कार्यक्रम के तहत ग्राम पंचायत कार्मिकों के क्षमता विकास के लिए उन्हें नियमित रूप से, एवं विशेष प्रशिक्षण देकर जनपद पंचायत और जिला पंचायत द्वारा मॉनिटरिंग की जाती है। राज्य स्तर पर संवाद के लिए कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं। साथ ही मैदानी स्तर पर हुए कार्यों का दस्तावेजीकरण भी किया जाता है। मनरेगा कार्यों से संबंधित दस्तावेजों और जानकारियों के बेहतर संधारण व प्रबंधन से इसमें पारदर्शिता तथा जवाबदेही आने के साथ ही लोगों तक जानकारी पहुंचाने में सहूलियत होती है।