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22 दिनों बाद खुला रजिस्ट्री कार्यालय, लोगों ने ली राहत की सांस, शासन को भी लगभग 50 करोड़ रुपए का हुआ नुकसान

रायपुर। 7 दिनों बाद राजधानी अनलॉक होने के बाद आज रजिस्ट्री कार्यालय भी खुल गया है। रजिस्ट्री दफ्तर खुलने से लोग राहत की सांस ले रहे हैं। अब पहले की तरह यहां जमीन खरीदी बिक्री की रजिस्ट्री व मकानों का पंजीयन हो सकेेगा। बता दें कि पिछले 22 दिनों से रजिस्ट्री कार्यालय में ताला लगा हुआ था। दरअसल, उप पंजीयक की कोरोना से मौत व करीब 25 स्टॉफ के संक्रमित मिलने के बाद 6 सितंबर से दफ्तर को सील कर दिया गया था। इससे जमीनों की रजिस्ट्री का कार्य बंद पड़ा था। रजिस्ट्री नहीं होने से क्रेता और विक्रेताओं दोनों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा था। यहीं नहीं रजिस्ट्री नहीं होने के कारण मजूदर से लेकर बिल्डर तक परेशान थे। पंजीयन कार्यालय के बंद होने से बैंकों द्वारा स्वीकृत किए गए ग्राहकों के ऋण का भुगतान भी अटका हुआ था। इससे बिल्डरों के पास पैसा न आने की वजह से मजदूर, ठेकेदार, मटेरियल सप्लायर भी परेशान थे, लेकिन आज मंगलवार से रजिस्ट्री का काम एक बार फिर शुरू होने से क्रेता व विक्रेताओं के साथ-साथ बिल्डर व बैंक भी राहत की सांस ले रहे हैं। मंगलवार की सुबह से रजिस्ट्री कराने के लिए दफ्तर में लोगों की भीड़ उमड़ी थी। जिला प्रशासन के कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए रजिस्ट्री का काम निपटाया जा रहा है।

रोजाना दो से ढाई करोड़ का हो रहा था नुकसान: दफ्तर बंद होने की वजह से रजिस्ट्री नहीं हो पा रही थी। इससे स्टाम्प और पंजीयन शुल्क का नुकसान हो रहा था। जानकारी के मुताबिक राजधानी रायपुर में औसतन रोजाना 2 से ढाई सौ तक प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होती है। इससे शासन को लगभग दो से ढाई करोड़ रुपए पंजीयन शुल्क के रूप में मिलता है। रजिस्ट्री कार्यालय पिछले 22 दिनों से बंद होने की वजह से शासन को भी लगभग 50 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

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