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बिजली विभाग के अफसरों में रायगढ़ प्रेम ऐसा कि ट्रांसफर के बाद भी आ जाते हैं यहां वापस, आखिरकार इनका मोह भंग क्यों नहीं होता, ठेकेदारों के साथ फिफ्टी-फिफ्टी सच तो नहीं!

रायपुर। रायगढ़ जिला से बिजली विभाग के कई अधिकारियों का मोहभंग नहीं हो रहा है। यहां आधा दर्जन से अधिक ऐसे अधिकारी हैं जो दो से तीन बार पोस्टिंग कराकर रायगढ़ में जमे हुए हैं। इन अधिकारियों को रायगढ़ रास आने लगा है। ऐसे अधिकारी विभाग में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि ये अधिकारी यहां के मिट्टी में रंग चुके है। इसलिए रायगढ़ से मोह छूट ही नहीं रहा तो दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है कि इन अफसरों का यहां काम करने वाले कई बड़े ठेकेदारों के साथ फिफ्टी- फिफ्टी का पार्टनरशिप है। अधिकारियों का ट्रांसफर रायगढ़ से हो और 4 से 6 माह के भीतर दोबारा इसी जिले में पोस्टिंग हो जाए। क्योंकि कई ऐसे भी अधिकारी हैं जो अपनी ट्रांसफर के लिए लाखों रुपए खर्च करने को तैयार है फिर भी उनका ट्रांसफर हो नहीं रहा तो दूसरी ओर बिजली विभाग के अफसरों का इसी जिले में दोबारा से पदस्थ हो जाना संयोग और किस्मत तो बिल्कुल भी नहीं हो सकता। कुल मिलाकर रायगढ़ एक ऐसा मलाईदार जिला है जिससे बिजली विभाग के अफसरों को ट्रांसफर के बाद भी रायगढ़ प्रेम अपनी ओर खींच लाता है। जब सरकार ही अपने ट्रांसफर नीति को रद्दी की टोकरी में डाल दें और जो अधिकारी एक ही जिले में तीन-चार साल गुजार चुके और उन्हें दोबारा उसी जिले में पदस्थ कर दें तो ठेकेदारों के साथ मिलकर दूसरी रास्ते से एक्सट्रा इनकम कमाने में भला क्या बुरा! अब सालों से जमे जमाएं अपने साम्राज्य को कोई यूं तो नहीं छोड़ सकता और रायगढ़ में इन अफसरों का साम्राज्य तो ऐसा बना हुआ है कि यहां 1 करोड़ रुपए के काम ठेकेदारों से एडवांस में करा लिए जाते हैं। अफसर बाकायदा अपने ठेकेदार भाईयों से यह भी बोलने से नहीं हिचकते की उस काम को सिंह, शर्मा और साहू ने एडवांस में कर लिया है, टेंडर कोई नहीं भरेगा। अब ठेकेदारों को भी तो इन्हीं अधिकारियों के साम्राज्य में जीना खाना है तो भला कोई कैसे बगावत कर सकता है। वैसे भी हम सब भाई-भाई…..

इन अफसरों को खूब भा रहा रायगढ़…..

वैसे रायगढ़ रास आने वाले अधिकारियों की बात करें तो वर्तमान में रायगड़ डिवीजन 1 के ईई सुनील कुमार साहू हैं। रायगढ़ में डेढ़ साल पहले तक एई थे। इसके बाद उनका महासमुंद सहायक अभियंता के पद पर ट्रांसफर हुआ था। वहां से करीब चार से छह माह रहने के बाद दोबारा रायगढ़ में ईई के पद पर पदस्थ हो गए। अब इनका सौभाग्य ही होगा जो एई के पद पर रायगढ़ में चार साल से अधिक समय तक रहे, उसी शहर में दोबारा ईई बनकर वापस आ गए। इसी तरह यहां के सबसे बड़े पद पर विराजमान चंद्रशेखर सिंह का हाल है। सिंह साहब की पहली पोस्टिंग सालों पहले एई के पद पर हुई थी। इसके बाद उनका प्रमोशन हुआ और ईई बनकर दूसरे जिले चले गए। इसके बाद वापस रायगढ़ आ गए और फिर रायगढ़ से जांजगीर चले गए। साल भर पहले ही वापस रायगढ़ में सीएई बनकर लौट आए। ऐसे और भी कई उदाहरण है।

 

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