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रायगढ़ बिजली विभाग के अधिकारी ठेकेदारों के हाथों की कुठपुतली या फिर फिफ्टी-फिफ्टी के पार्टनर!

रायपुर। पूरे छत्तीसगढ़ में रायगढ़ जिले का बिजली ऑफिस पहला ऐसा विभाग होगा जहां पहले काम कराया जाता है उसके बाद टेंडर निकाला जाता है। इससे विभाग के अधिकारियों पर ही सवाल उठ रहे हैं कि विभाग का बॉस वे खुद हैं या फिर ठेकेदार। क्योंकि यहां ठेकेदारों के इशारों पर काम होता है। ठेकेदार अपनी मर्जी से काम करते हैं और अपने मर्जी से पैसे लेेते है। इससे साफ है कि सरकार से हर माह मोटी तनख्वाह लेने वाले अफसर इन ठेकेदारों के हाथों की कठपुतली है या फिर फिफ्टी-फिफ्टी के पार्टनर। इसलिए यहां जमकर गड़बड़ी की जा रही है। आपको बता दें कि इस विभाग में पहले काम व बाद में टेंडर का खेल हो रहा है। यानी सारे काम पहले करा लिये जा रहे हैं, बाद में टेंडर निकाला जाता है और आगे की प्रक्रिया करके टेंडर मैनेज किया जाता है। यह सिलसिला यहां वर्षो से चल रहा है। सरकार को चूूना लगाने वाले बिजली विभाग को अफसरों को पहले भाजपाई संरक्षण दे रहे थे और अब कांग्रेस के लोग। आख्रिरकार नेता भी तो नेता ही होते हैं। विद्युत मंंडल की ओर से लगभग 1 करोड़ रुपए के 27 कामों के लिए आज 3 बजे टेंडर निकाला जाना है। मजे की बात है कि ये सारे के सारे काम एडवांस में हो चुके तो कुछ कार्यो में महज 20 प्रतिशत वर्क ही शेष रह गया है। कुल मिलाकर इंजीनियरों व अधिकारियों की मिलीभगत से यह काम चहेते ठेकेदार को दे दिया गया है। टेंडर केवल नाम के लिए होगा।

 

ऐसे इसलिए संभव, क्योंकि हम सब भाई-भा

आप सोच रहे होंगे कि जब निविदा निकलेगा तो कोई भी टेंडर भर सकता है। अगर कई लोग निविदा भरेंगे तो फिर विभाग कैसे मैनेज करेगा तो आपको बता दें कि टेंडर निकालने से पहले यहां सभी बड़े ठेकेदारों को बुलाकर विभाग में टी पार्टी की जाती है जिसमें उन्हें बताया जाता है कि ये सारे एडवांस वाले काम है जिसे सिंह, शर्मा और साहू ने कर लिया है। इसलिए आप लोग टेंडर न भरें केवल इन्हीं तीनों लोगों को भरने दें। कुछ लोग दूसरे काम मिलने की आस में विरोध नहीं करते। अधिकारियों व इंजीनियरों के साथ ठेकेदारों की इसी गंठजोड़ की वजह से चहेते ठेकेदारों के बीच काम बांटा जा रहा है। दिखावा के लिए टेंडर निकाला जा रहा है। अगर कोई बगावत कर दें और टेंडर भर भी दें तो फिर एडवांस में काम कर चुके ठेकेदारों के साथ उसके सपोर्ट में अन्य दो ठेकेदारों से टेंडर भरवाया जाता है। बाद में इसे मैनेज करके काम करने वाले ठेकेदार को टेंडर दे दिया जाता है।

अधिकारियों से लेकर नेताओं तक की मिलीभगत- ऐसे मामलों की शिकायतें शासन तक नहीं पहुंचती। क्योंकि इससे आमजन वाकिफ नहीं है और ठेकेदार इन अफसरों के खिलाफ बगावत नहीं करते। रही बात विधायक से लेकर अन्य नेताओं की तो उन्हें विभाग के अफसर देवता की तरह पूजते हैं, भला फिर इनका क्या कोई बिगाड़ सकता है। इसलिए यह खेल रायगढ़ बिजली विभाग में काफी अरसे से चल रहा है। कमीशन को लेकर ही यह सब कुछ हो रहा है। जिस ठेकेदार को काम मिलता है, वह कमीशन में बड़ी राशि इंजीनियरों व अधिकारियों को देता है। कमीशन की राशि विभिन्न स्तरों पर बांटी जाती है।

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