Holi Kab Hai : रंगों का उत्सव होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है। होली (Holika Dahan 2024) पूर्णिमा हिन्दू वर्ष का अंतिम दिन भी होता है। पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 मार्च को सुबह 09.55 बजे से शुरू हो जाएगी। यह 25 मार्च 2024 को दोपहर 12.30 बजे खत्म हो जाएगा।
छोटी होली को होलिका दहन (Holika Dahan 2024) के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग शाम के समय अपने घर से बाहर विधि-विधान के साथ होलिका दहन की पूजा करते हैं। यह दिन बुरी शक्तियों पर विजय का प्रतीक है और यह भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है।
होलिका दहन (Holika Dahan 2024)पर इस साल चंद्रग्रहण के साथ साथ भद्रकाल का साया भी रहेगा। इस साल करीब 100 साल बाद होली पर चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। आज शाम को भद्रा होने के कारण रात 11 बजे बाद होलिका दहन होगा। इसके लिए शुभ मुहूर्त रात 11 बजे से शुरू होगा।
होली फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है। 24 मार्च को भद्रा पूर्णिमा तिथि के आरंभ होने के साथ ही लगी रही है। रात में 11:13 बजे तक भद्रा रहेगी। ऐसे में भद्राकाल खत्म होने के बाद ही होलिका दहन करना शुभ रहेगा।
लिहाजा इस बार होलिका दहन के लिए लोगों को देर रात तक इंतजार करना पड़ेगा। फाल्गुन की पूर्णिमा में भद्रा के बाद ही होलिका दहन का विधान होता है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11.13 बजे से 12.27 बजे तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।
होलिका दहन पर चंद्रग्रहण को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है कि चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। जबकि इस बार होली पर कोई चंद्रग्रहण नहीं है। जो उपछाया चंद्रग्रहण लगने जा रहा है वह भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं रहेगा।
हमारे सभी धर्मग्रंथों में होलिका दहन में मुहूर्त का विशेष ध्यान रखने की बात कही गई है। फाल्गुन पूर्णिमा को भद्रारहित प्रदोषकाल में सर्वोत्तम माना गया है। होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ नया अन्न यानी गेहूं,जौ और चना की हरी बालियों को लेकर पवित्र अग्नि में समर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से घर के लिए शुभ होता है। धर्मरूपी होली की अग्नि को अतिपवित्र माना गया है। इसलिए लोग इस अग्नि को अपने घर लाकर चूल्ला जलाते हैं। और कहीं-कहीं तो इस अग्नि से अखंड दीप जलाने की भी परंपरा है।माना जाता है कि इससे न केवल कष्ट दूर होते है,सुख-समृद्धि भी आती है।
होलिका दहन के लिए लकड़ियों को इकट्ठा करें। इसके बाद कच्चा सूत से तीन या सात बार इनको लपेट लें। फिर सभी लकड़ियों पर थोड़ा गंगाजल डालकर उन्हें शुद्ध कर लें। इसके बाद उन पर पानी, फूल और कुमकुम छिड़ककर उनकी पूजा करें। पूजा के लिए माला रोली, अक्षत, साबुत हल्दी, गुलाल, नारियल, बताशे-गुड का इस्तेमाल करना चाहिए। फिर होलिका की पूजा करें और फिर होलिका की कम से कम 5 या 7 परिक्रमा करें। इस बात का खास ख्याल रखें की होलिका की पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।