रायपुर। ग्राम पंचायत हट्टापाली, आश्रित ग्राम मंजूरपाली, छिंदपतेरा, जगदीशपुर, ग्राम पंचायत करपी, आश्रित ग्राम परधियापाली, कर्रामाल, महुआपाली, टेकापत्थर, ग्राम पंचायत खम्हरिया, आश्रित ग्राम केरमेली, अकबरटोला, ग्राम पंचायत धौरादरहा, आश्रितग्राम बीजामाला, ग्राम पंचायत जोगनीपाली, आश्रितग्राम सरायपाली, कालाखूंटा, ग्राम पंचायत जामदलखा, आश्रितग्राम जीरापाली, नरेशनगर, ग्राम पंचायत झाल, आश्रितग्राम बनवासपाली, ग्राम पंचायत विष्णुपाली, ग्राम पंचायत दुलोपाली, आश्रितग्राम कस्तूरामाल, ग्राम पंचायत डूमरपाली, आश्रितग्राम साथर समेत अन्य, ये सभी गांव छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक अंतर्गत डोंगरीपाली थाना क्षेत्र में आते हैं। भले ही ये गांव विकास से कोसों दूर हो, पर महुआ शराब बनाने व बेचने के मामले में छत्तीसगढ़ के 19 हजार 720 में से सबसे आगे हैं। वजह सिर्फ और सिर्फ रायगढ़ आबकारी विभाग के भ्रष्ट व रिश्वतखोर अफसरों के साथ डोंगरीपाली पुलिस है। जिसे हर महीने चढ़ावा दो और जितनी मर्जी उतनी शराब बनाओ और बेचो। सिपाही से लेकर टीआई तक हर महीने कमीशन फिक्स है। आबकारी विभाग के लोगों को भी बाकायदा मोटी रकम पहुंचाई जाती है। ताज्जुब की बात है कि इसकी भनक रायगढ़ जिले के ईमानदार पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार और रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह के कानों तक कैसे नहीं पहुंचती है। छत्तीसगढ़ में अवैध शराब की बिक्री को रोकने के तमाम दावे कांग्रेस सरकार और डीजीपी डीएम अवस्थी करते हैं, लेकिन सारे के सारे दावे फेल है। क्योंकि आबकारी और पुलिस संरक्षण के बिना इस अवैध कारोबार को खुलेआम कर पाना संभव ही नहीं है। अवैध महुआ शराब की बिक्री से इन गांवों का माहौल खराब हो गया है। बावजूद आबकारी व डोंगरीपाली पुलिस कार्रवाई के नाम पर केवल औपचारिकताएं निभा रहे हैं। लोग तो इस कदर त्रस्त हो चुके हैं कि भगवान से दुआ कर रहे हैं कि काश किसी ईमानदार अफसर की डोंगरीपाली थाने में पदस्थापना हो जिससे इस अवैध कारोबार पर पूरी तरह से अंकुश लग सकें।