Sunday, October 13, 2024
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मौसम के उतार चढ़ाव से धान फसलों में शीत ब्लॉस्ट का बढ़ा प्रकोप, अन्नदाताओं के माथों पर चिंता की लकीरें

साल्हेओना बरमकेला। खेतों में लगी धान फसल में शीत ब्लास्ट का प्रकोप दिख रहा है जिसके चलते किसानों की परेशानी बढ़ गई है। कृषि अमला इस समस्या से बेखर है। ऐसे में किसानों को कृषि दवा केंद्रों में जाकर उनकी सलाह पर दवा खरीदनी पड़ रही है और कीट के प्रकोप से बचाने की तैयारी में लगे है। पिछले दो सप्ताह से मौसम में उतार चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। उमस व बदली के कारण खेतों में विपरीत असर पड़ रहा है। छग रायगढ़ जिले के बरमकेला अंचल में ज्यादातर किसान धान की खेती करते है। ऐसे खराब मौसम में धान फसल में शीत ब्लास्ट का प्रकोप दिखने लगा है। साल्हेओना के कृषक तेजराम चौधरी, रामकुमार पटेल, नरसिंह चौधरी, मूलाराम पटेल ने बताया कि धान के पत्तों का आकार चौड़े होने लगे है लेकिन इन पत्तों में शीत ब्लास्ट नामक बीमारी ने जकड़ लिया है। इसके लक्षण पहले पत्ते चिपकते हुए मूड़ जाते है और अंदर भाग में कीड़े पनपने से धान पौधों को नुकसान पहुंच रहा है। किसानों का कहना है कि एचएमटी, स्वर्णा, सोना मासुरी, महामाया सहित अन्य प्रमुख धान की फसलों में ये बीमारी लग जाने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है। हालांकि इसके बचाव के लिए किसान कई प्रकार के रासायनिक दवाओं का उपयोग भी अपने खेतों में फसल बचाने के लिए कर रहे हैं। कृषकों की माने तो ऐसी ही खराब मौसम बना रहा तो भूरा माहो भी लग सकता है इसकी चिंता किसानों को सता रही है।
तेजी से फैल रहा भूरा माहो: कुछेक गांवों में पहले धान की खेती की गई थी उनके फसलों में भूरा माहो का कहर बनकर सितम ढा रहा है। अभी धान की फसल में बालियां आने ही लगे हैं कि बीमारी ने चिंतित कर दिया है। बांजीपाली के किसान कन्हैया लाल पटेल का कहना है कि भूरा माहो का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। ऐसे में किसान लगाए गए धान फसल की देखभाल को लेकर परेशान है। सुबह शाम खेतों में जाकर बीमारी के प्रसार पर निगरानी करनी पड़ रही है।

यूरिया खाद का अधिकाधिक प्रयोग: इस बार पर्याप्त मात्रा में बारिश हुई है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे में धान फसल की अच्छी पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों ने यूरिया खाद का छिड़काव ज्यादा मात्रा में करने के बाद फसलों में बीमारी हो रही है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि किसान तय मात्रा में खाद डालने के बजाय अधिक मात्रा में यूरिया की प्रयोग कर रहे हैं। इससे धान के पत्ते नरम व कोमल होकर खराब मौसम को झेल नहीं पाते है और बीमारग्रस्त हो रहे है। खाद को उचित मात्रा में डालने और विशेषज्ञों की सलाह समय-समय पर लेने की बात कही है।