रायपुर। छग यातायात महासंघ (बस संचालकों) द्वारा 25 अगस्त से प्रदेश के सभी जिले में होने वाली हड़ताल को तीन दिनों के लिए टाल दिया है। हड़ताल स्थगित करने की वजह प्रदेश के परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर के बड़े भाई का निधन है। अब यातायात महासंघ की 27 अगस्त को बैठक रखी है जिसमें हड़ताल के लिए नई रूपरेखा तैयार की जाएगी। प्रदेश के अनलॉक होने के बाद से ही यातायात महासंघ ने यात्री परिवहन में घाटा होने का हवाला देते हुए बसों का संचालन करने से इनकार कर दिया। साथ ही अपनी छह सूत्रीय मांगें माने जाने के बाद ही बसों का संचालन करने की बात कही थी। इसके लिए बस मालिकों ने परिवहन मंत्री के साथ-साथ गृह मंत्री से संपर्क कर उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया था और उनकी मांगों पर एक सप्ताह के अंदर विचार करने का समय दिया था, लेकिन एक सप्ताह बाद भी परिवहन मंत्री तथा परिवहन विभाग द्वारा किसी तरह से जवाब नहीं मिलने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। कल 25 अगस्त से प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में बस मालिक आंदोलन करने वाले थे, पर रविवार को प्रदेश के परिवहन व मंत्री मोहम्मद अकबर के बड़े भाई की मौत होने के बाद बस मालिकों ने अपना निर्णय बदलते हुए इसे फिलहाल तीन दिनों के लिए टाल दी है। छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के उपाध्यक्ष सैयद अनवर अली ने बताया कि सभी जिलों में बस ऑपरेटर शासन से राहत देने की मांग करते हुए 25 अगस्त को धरना प्रदर्शन करने वाले थे, लेकिन परिवहन मंत्री के घर गमी होने की वजह से आंदोलन स्थगित कर दिया है। आंदोलन की नई रूपरेखा बनाने बस ऑपरेटर 27 अगस्त को विचार विमर्श करेंगे।
बाहर से आने वाले यात्रियों की बढ़ेगी मुश्किलें: प्रदेश में बसों का संचालन नहीं होने की वजह से लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। मजबूरी में लोगों को हजारों रुपए देकर टैक्सी किराया लेना पड़ रहा है। यही नहीं, आने वाले दिनों में उन यात्रियों की मुसीबतें बढऩे वाली है जो दूसरे राज्यों से आएंगे। दरअसल, केंद्रीय गृह सचिव ने सभी राज्यों के गृह सचिव को एक पत्र जारी कर अंतर्राज्यीय बस संचालन करने पर किसी तरह से रोक नहीं लगाने की बात कही है। ऐसे में अंतर्राज्यीय बस चलने के बाद दूसरे प्रदेश से आने वाले लोगों को यहां परेशानी का सामना करना पड़ेगा। दूसरे प्रदेश से आने वाले यात्री को राज्य के किसी दूसरे शहर के अंदरूनी इलाकों में जाने बस नहीं मिलने से बाहर से आने वाले यात्री को यहां परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
बस मालिकों ने राज्य शासन से इन बिंदुओं पर की है मांग:
1. 1 सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक के टैक्स में छूट दी जाए।
2. डीजल के वैट टेक्स में 50 फीसदी की कटौती की जाए।
3. फार्म के एवं फार्म एम की साल में 2 माह की बाध्यता समाप्त की जाए। इसके साथ ही इसकी फीस अन्य राज्यों की तरह 10 से 20 रूपए प्रति माह की जाए। छत्तीसगढ़ में यह फीस 500 से 100 रूपए प्रति माह है। इससे राज्य सरकार को कोई आमदनी नहीं होती। यह फीस केंद्र सरकार के खाते में जाती है।
4. बढ़ती डीजल की कीमतों के साथ-साथ यात्री का किराया भी बढ़ाया जाए। इसके लिए स्थाई नीति बनाई जाए।
5. टोल टैक्स में छूट दी जाए।
6. एकल प्राधिकार के बनने से पहले जो काम आरटीओ द्वारा किया जाता था उसे दोबारा लागू की जाए।