गजानंद निषाद, साल्हेओना बरमकेला। पहली बार धान की खेती के रकबे की गिरदावरी के लिए राजस्व व कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी धरातल पर उतर कर काम शुरू किया। अब तक कागजी खानापूर्ति की जाती थी। बोगस धान खरीदी को रोकने और धान के अलावे कौन-कौन सी फसल लगी है इसकी स्पष्ट जानकारी तैयार करने के लिए खेत में जाकर गिरदावरी रिपोर्ट बनाया गया। सरकार का दावा था कि वास्तविक किसानों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए खेत में जाकर रकबे की गिरदावरी की जा रही है, लेकिन राजस्व विभाग का स्पॉट पर जाकर गिरदावरी रिपोर्ट किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है। दरअसल, रिकार्ड में किसी किसानों का रकबा कम हो गया तो किसी का नाम ही गायब है। इसे ठीक करवाने के लिए किसान अब पटवारी व तहसील ऑफिस के चक्कर काटने को मजबूर हैं। रायगढ़ जिले के बरमकेला तहसील क्षेत्र के प्रत्येक पटवारी हल्का के गांवों की एक-एक किसान के खेत में जाकर राजस्व व कृषि अमले ने रकबे का रिकॉर्ड तैयार किया है। एक माह तक गिरदावरी सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने के बाद अब इसकी सूची जारी की गई है। सूची में किसानों का रकबा कम दिख रहा है और किसी किसी का रकबा ही नहीं है। ऐसी स्थिति रहा तो उन्हें धान खरीदी के दौरान परेशानी होगी। हालांकि पटवारियों ने तीन दिवस में सूची में छूटे रकबे के लिए पुन: आवेदन मंगा रहे है और त्रुटि को सुधार कर किसान का रकबा जोडऩे की बात कही जा रही है। छोटे बड़े किसानों के खेत की मेड रकबे से बाहर कर दिया गया है। पहली बार ऐसी गिरदावरी की गई है जिसमें जितने रकबे में धान की खेती हुई है उतने ही रकबे का रिपोर्ट बनाई गई है। इससे किस किसान ने कितने रकबे में धान की खेती है और कौन सा किस्म का धान उत्पादन किया जा रहा है यह स्पष्ट होगा।
परदादा का नाम सूची में- पटवारी हल्का नं. 02 के किसान सुंदर लाल पटेल, लक्ष्मी प्रसाद, खीरसागर पटेल, रामदयाल पटेल आदि का कहना है कि जारी सूची में कृषि पट्टा की जमीन का खसरा व रकबा नहीं दिख रहा है। नए खरीदे गए खेतिहर जमीन को भी गिरदावरी सर्वे में नहीं चढ़ाया गया है। यहां तक कि दादा,परदादा का नाम इस सूची में है। जबकि उनका फौत किसान कटवा चुके हैं। ऐसे में अब धान बिक्री के समय असुविधा होगी।
बोगस बिक्री पर लगेगी रोक: आगामी महीनों से धान की समर्थन मूल्य पर किसान धान बेचेंगे। इसके लिए किसानों द्वारा कराए गए रकबे का पंजीयन और गिरदावरी सर्वे के आधार पर मिलान किया जाएगा ताकि धान बेचने के दौरान रकबे में किसी प्रकार का अंतर न हो। व्यापारी भी किसी किसान के पट्टे का दुरुपयोग करने से डरेगें। इससे बोगस धान खरीदी पर रोक लगेगी।
वर्सन
जिन किसानों का सूची में रकबा नहीं है वे आवेदन कर सकते है। हो सकता है साप्टवेयर में नहीं चढ़ा होगा या फिर कम्प्यूटर की प्रिंट आउट के दौरान नहीं निकला होगा। इसे जांच कर सुधार करेंगे।
यशोदा कहार, पटवारी हल्का नं. 02, साल्हेओना