

बरमकेला। किसानों को कृष कार्य मे सहायता प्रदान करने के लिए बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत लोन दिया जाता है ताकि किसान कृषि कार्य बिना आर्थिक परेशानी के सुचारु रूप से कर सकें, लेकिन यही केसीसी योजना इन दिनों छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक अंतर्गत डोंगरीपाली व लेंध्रा क्षेत्र के किसानों के लिए गले की हड्डी साबित हो रही है। दरअसल, कई किसानों ने केसीसी लोन लिया था। राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा अपने वायदे के मुताबिक कर्ज माफ कर दी है। इससे किसान कर्जमुक्त हो चुके हैं, लेकिन ग्रामीण बैंक बरमकेला, लेंध्रा व तौंसीर में अभी भी कई किसानों का रिकार्ड अपडेट नहीं हुआ है, मतलब उनकी कृषि जमीन बंधक है। किसानों को बैंक से बंधक जमीन कटवाने की प्रक्रिया में पसीना छूट रहा है। परेशान किसान पिछले कई दिनों से तहसील कार्यालय तो कभी बैंकों के चक्कर काटने के लिए मजबूर है। जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारियों की लापरवाही इस कदर हावी है कि कभी तहसील कार्यालय में कुर्सी से तहसीलदार गायब रहते हैं तो कहीं लिपिक गायब रहते हैं। यही हाल बैंकों का भी है। कभी मैनेजर नहीं होते तो कभी ऑपरेटर। कभी इंटरनेट समस्या तो कभी बिजली गुल बताकर किसानों को घुमाया जा रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी लेंध्रा ग्रामीण बैंक के ग्राहकों को है। यहां के बैंक कर्मचारियों की मनमानी इस कदर हावी है कि 5 मिनट के काम के लिए 15 दिनों तक किसानों को घुमाया जा रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी उन किसानों को हो रही है। जो समर्थन मूल्य में धान बेचने के लिए पंजीयन करवाना चाहते है। दरअसल, कई किसानों द्वारा केसीसी लोन नहीं चुका पाने की वजह से समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेच पाते थे, लेकिन कर्जा माफ होने के बाद वे भी अब समर्थन मूल्य पर धान बेच सकते हैं। ऐसे में किसानों का कर्जा माफ होने के बाद भी ग्रामीण बैंकों की लापरवाही या यूं कहें कि बिना चढ़ावा के जमीन बंधक मुक्त नहीं करना चाहते। बैंकों में ऋण पुस्तिका बंधक दिखाने की वजह से किसानों को बी 1 व खसरा नहीं मिल पा रहा। इससे किसान अपना पंजीयन ही नहीं करा पा रहे। पंजीयन करवाने की अवधि भी खत्म होने वाली है। इससे किसान इधर से उधर रोजाना दौड़ धूप करने में लगे है।
