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एक-एक पटवारी पर तीन-तीन हल्का का प्रभार, विभाग परेशान तो किसानों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

संजय चौधरी, बरमकेला। छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले का बरमकेला राजस्व विभाग पटवारियों की कमी से जूझ रहा है। इससे राजस्व विभाग के साथ-साथ पंजीयन का भी कामकाज प्रभावित हो रहा है। स्थिति यह है कि एक पटवारी के पास तीन-तीन हल्का का काम है। इससे पटवारी काम के बोझ तले दबे है तो दूसरी ओर ग्रामीणों के कार्य नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर वर्तमान में पंजीयन का काम अटक रहा है। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। इससे राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी परेशान है, लेकिन इनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। वहीं दूसरी हर छोटी कार्यो के लिए वाहवाही बटोरने वाले विधायक, जिला पंचायत व जनपद सदस्यों को किसानों की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है। तहसीलदार राकेश वर्मा ने राजधानी टाइम्स से चर्चा करते हुए बताया कि बरमकेला तहसील अंतर्गत कुल 48 पटवारी हल्का है। इसके लिए राजस्व विभाग की ओर से 35 पटवारियों की पदस्थापना की गई है, लेकिन वर्तमान में एक पटवारी रिश्वत लेते हुए एसीबी की गिरफ्त में आ गया, एक कोरोना पॉजिटिव है, एक महिला पटवारी मातृत्व अवकाश पर हैं तो अन्य एक गंभीर बीमारी से जूझने की वजह से छुट्टी पर है, मतलब 35 में से महज 31 पटवारी कार्यरत हैं। इनमें दो पटवारी के पास तीन-तीन हल्का तो 17 पटवारियों के कंधों पर अतिरिक्त प्रभार का बोझ है। जबकि शासन के नियमानुसार जहां प्रत्येक हल्का पर एक-एक पटवारी होना चाहिए, लेकिन बरमकेला राजस्व विभाग में स्थिति इसके विपरीत है। पटवारियों की कमी से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब इसका सबसे अधिक खामियाजा वर्तमान में क्षेत्र के हजारों किसानों को उठाना पड़ रहा है।

रिकार्ड दुरूस्त नहीं कर पा रहे पटवारी: समर्थन मूल्य में धान खरीदी के लिए मैनुअल पंजीयन की बजाए इस साल किसानों का आनलाइन पंजीयन किया जा रहा है। यह पंजीयन पटवारियों के रिकार्ड के आधार पर किया जा रहा। पंजीयन के दौरान पटवारियों के आनलाइन रिकार्ड में कई कमियां मिल रही है, जिससे पंजीयन करने में भारी परेशानी हो रही है। पटवारी रिकार्ड में कई किसानों की मृत्यु होने के बाद फावती उठाने के बाद उनके बेटों का नाम आनलाईन नहीं हुआ है। हालांकि पिछले कुछ सालों से ऐसे किसानों का धान मैनुअल के आधार पर पंजीयन हो जाता था, लेकिन इस साल ऐसे किसानों के रिकार्ड आनलाइन नहीं होने से इनका पंजीयन नहीं हो पा रहा है। पटवारियों के पास एक से अधिक हल्का का जिम्मा होने के कारण उन्हें भी रिकार्ड दुरूस्त करने में विलंब हो रहा।

सर्वर डाउन की अलग परेशानी: पटवारियों द्वारा किए गए गिरदावरी रिपोर्ट में कई किसानों का आनलाइन रकबा कम है, जबकि किसान ज्यादा मात्रा में धान फसल लिए हैं। भुइया कार्यक्रम संचालन के लिए सोसायटियों में सर्वर डाउन होने से भी कई तरह की परेशानी सामने आ रही है। कई किसानों के मोबाइल नंबर, आधार कार्ड नंबर मैनुअल तरीके से वेरीफिकेशन कराया है, लेकिन ऑनलाइन में अपलोड नहीं हुआ है, ऐसे कई परेशानी है जिसके चलते किसानों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है।

धान बेचने से हो जाएंगे वंचित: इस साल समर्थन मूल्य में धान बेचने के लिए किसानों का आनलाइन पंजीयन अनिवार्य है। पंजीयन के लिए 30 अक्टूबर तक का समय किसानों को दिया गया है। जानकारी के अनुसार कई पटवारियों ने अभी तक गिरदावरी रिपोर्ट सोसायटी तक नहीं पहुंचाए हैं, इससे उन्हें पंजीयन करने में परेशानी हो रही है। समय रहते यदि पटवारी अपना आनलाइन रिकार्ड दुरुस्त नहीं करते हैं, तो इस साल कई किसान समर्थन मूल्य में धान बेचने से वंचित रह जाएंगे। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा। दरअसल, पटवारियों के पास काम अधिक होने की वजह से उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

कुछ पटवारी उठा रहे फायदा: कुछ पटवारी इसका बेजा फायदा उठाने से भी बाज नहीं आ रहे। ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डोंगरीपाली, गौरडीह ग्राम पंचायत समेत अन्य हल्का के पटवारियों द्वारा किसानों का काम करने के लिए एवज में अवैध वसूली की जा रही है। समर्थन मूल्य में पंजीयन करवाने के लिए महज 10 दिनों का समय बचा है। इसे ध्यान में रखते हुए किसान पटवारियों को चढ़ावा देने के लिए मजबूर है।

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