रायपुर। छत्तीसगढ़ का रायगढ़ एक बार फिर फर्जीवाड़े के कारण चर्चा में है। इस बार गड़बड़ी का मामला कृषि विभाग से जुड़ा है। यहां पदस्थ डीडीए (कृषि उप संचालक) ललित मोहन द्वारा लाखों रुपए की अनियमितता बरतने का खुलासा हुआ है। दरअसल, वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के बाद भी डीडीए ने बिना अनुमति व बिना टेंडर 16 लाख रुपए अपने दफ्तर को चमकाने के लिए खर्च कर दिए। मामले की शिकायत हुई तो कलेक्टर ने इसकी जांच करवाई, जिसमें गड़बड़ी होने की पुष्टि हो गई। अब रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह ने डीडीए ललित मोहन पर कार्रवाई करने के लिए कृषि विभाग के सचिव से अनुशंसा की है।
रायगढ़ कलेक्टर द्वारा कृषि विभाग के सचिव को लिखे अनुशंसा पत्र में बताया गया है कि उनसे डीडीए की शिकायत हुई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव आचार संहिता के दौरान कार्यालय में बिना टेंडर, बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के लाखों रुपए खर्च कर दिए गए। कलेक्टर भीम सिंह ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि भी हुई। जांच में पता चला कि कार्यालयीन व्यवस्था, मरम्मत एवं सामग्री क्रय के लिए आकस्मिक निधि से 7,76,522 रुपए का भुगतान किया गया। कोटेशन प्रक्रिया से यह काम छत्तीसगढ़ प्लायवुड़ और दीपक शर्मा का चयन कर दिया गया। दोनों को क्रमश: 6,44,522 रुपए और 1,32,000 रुपए का भुगतान किया गया है। छत्तीसगढ़ प्लायवुड़, जिंदल प्लायवुड और अग्रवाल प्लायवुड के नाम से आए कोटेशनों में संचालक के साइन ही नहीं हैं। कोटेशन व वर्क ऑर्डर के पत्रों में जावक क्रमांक के साथ ए का प्रयोग किया गया है जो संदेहास्पद है। डीडीए ने दफ्तर में ग्लास, फर्नीचर युक्त चेम्बर और केबिन निर्माण का काम करवाया था जिसमें बिना अनुमति के 16 लाख खर्च करने का आरोप है।
दो वर्कऑर्डर इस दिनांक को जारी किए: कृषि विभाग के दफ्तर को चकाचक करने के लिए दो वर्क ऑर्डर जारी किए। पहला वर्क ऑडर 26 अक्टबूर 2018 तो दूसरा 3 नवंबर 2018 को जारी हुआ। इस दौरान प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू थी। शिकायत पर रायगढ़ कलेक्टर की ओर से डीडीए को स्पष्टीकरण मांगा गया तो पूरे काम के लिए 11 लाख 70 हजार 241 रुपए व्यय होने की जानकारी दी गई। इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बावजूद डीडीए ने सक्षम अधिकारी की प्रशासनिक, वित्तीय एवं तकनीकी स्वीकृति लेना जरूरी नहीं समझा, मतलब खुद को चुनाव आयोग से बड़ा मानकर खूब मनमानी की गई। जबकि खुली अनुमति लेने के बाद खुली निविदा मंगवाई जानी थी। प्रक्रिया के पालन संबंधी कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। पार्ट-पार्ट में सामग्री क्रय कर कार्य करवाए जाने का उल्लेख किया गया जो तर्कसंगत नहीं है।
इतनी राशि के लिए क्या है नियम, जानिए…जानकारों की माने तो इतनी राश के काम में इस्टीमेट बनाकर टेंडर निकाल कर काम कराना होता है, लेकिन गड़बड़ियों के चर्चित ललित मोहन ने इसे भी जरूरी नहीं समझा। रायगढ़ कलेक्टर ने इस अनियमितता पूर्ण कार्य के लिए डीडीए ललित मोहन भगत को दोषी माना है। उन्होंने वित्तीय अनियमितता पाए जाने के कारण डीडीए के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा की है।
चोर छोड़ जाते हैं सुराग: डीडीए ललित मोहन द्वारा केवल कृषि विभाग के अपने दफ्तर को चमकाने के लिए लगभग 16 लाख रुपए खर्च कर दिए। वह भी विधानसभा चुनाव आचार संहिता के लागू होने के दौरान। खास बात यह है कि कोटेशन के लिए जारी भी पूरी तरह से गलत है। क्योंकि जिन तीन फर्म को पत्र भेजे गए है उन सभी में जावक क्रमांक एक ही है। कोटेशन के लिफाफे भी संलग्न नहीं किया गया है। गुपचुप तरीके से एक ही व्यक्ति को काम देने के लिए इस तरह का रास्ता अपनाया जाता है।