Friday, October 18, 2024
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छत्तीसगढ़ : कांग्रेस में कुर्सी की लड़ाई जारी! बीजेपी की चुनाव तैयारी, जहां हुआ सूफड़ा साफ, वहीं चिंतन के लिए एकत्रित हुए भाजपा नेता, 14 सीटों पर सिमटी भारतीय जनता पार्टी में भी सब कुछ सही नहीं?

रायपुर। दिसंबर 2018 में जब कांग्रेस सरकार भारी बहुमत से आई थी, उस वक्त शायद ही किसी को अंदाजा था कि 90 में से 68 सीटे जीतने वाली कांग्रेस में मात्र ढाई साल में कुर्सी की खींचतान शुरू हो जाएगी। लड़ाई भी उन नेताओं में हो जाएगी, जो कभी आपस में दुश्मनी के लिए नहीं जाने जाते थे। वर्तमान में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की हालत बयां करने की आवश्यकता नहीं है। उधर दूसरी तरफ बीजेपी अगले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गई है। बीजेपी ने इसके लिए बस्तर जिले के जगदलपुर में एक चिंतन शिविर का आयोजन किया है। इस चिंतन शिविर में राष्ट्रीय नेता पहुंचे हुए हैं। बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिए बस्तर घाटी का चुनाव भी उनकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, दरअसल पिछले चुनावों में यहां बीजेपी का सूफड़ा साफ हो गया था। लिहाजा अगले विधानसभा चुनावों में पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने की शुरुआत इसी इलाके से की जा रही है।

भारतीय जनता पार्टी में यह पहली बार है जब चिंतन शिविर का आयोजन राजधानी रायपुर से बाहर किया जा रहा। बस्तर में एक और दो सितंबर को दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन हो रहा है। इसमें पार्टी के कई सीनियर लीडर भी शामिल होंगे, जिनमें भाजपा के राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव (संगठन) शिव प्रकाश, राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष, राष्ट्रीय महासचिव व छग प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नवीन सिन्हा का नाम प्रमुख है।

15 सीटों पर सिमटी भाजपा में भी अंदरुनी कलह : अगर छग में कांग्रेस 70 सीटों के साथ कलह से जूझ रही है तो बीजेपी 14 सीटों के साथ गुटबाजी व कलह में कांग्रेस को टक्कर दे रही है। छत्तीसगढ़ बीजेपी की लाइन और लेंध सब बिगड़ी हुई है। दरअसल, कांग्रेस की गुटबाजी सतह पर आ जाती है और बीजेपी की गुटबाजी अंदर ही अंदर दबी रह जाती है। वर्तमान में कांग्रेस सिर्फ दो गुटों में नजर आ रहा, जबकि बीजेपी कई गुटों में बंटा हुआ है जिसकी गिनती भी संभव नहीं है। दरअसल, पार्टी के कई पूर्व मंत्री वर्तमान में भी अपने आप को मंत्री से कम नहीं समझ रहे। जबकि भाजपा के छत्तीसगढ़ में सूफड़ा साफ होने की वजह यही कई पूर्व मंत्री ही हैं। बावजूद इसके इनकी अकड़ व घमंड कम नहीं हुआ।

मौके का फायदा नहीं उठा पा रही बीजेपी : वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ बेरोजगार युवाओं के साथ अनियमित कर्मचारी संघ, लिपिक वर्ग, वेतन विसंगति को लेकर शिक्षक सरकार से असंतोष नजर आ रहे। दिवंगत पंचायत शिक्षकों की विधवा महिलाएं भी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे। बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी इसका फायदा अब तक नहीं उठा पायी है। इसकी वजह भाजपा की गुटबाजी ही है। वर्तमान में पूरे प्रदेश के किसान खाद की कमी व कालाबाजारी से जूझ रहे, लेकिन इसे भाजपा नेता मुद्दा नहीं बना सकें और किसानों का हमदर्द भी नहीं बन पाए। जबकि बीजेपी अपने 15 साल के कार्यो और अन्नदाताओं के लिए अच्छे कार्यो की दुहाई देता है।