भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे विस्फोटक सलामी बल्लेबाजों में गिने जाने वाले वीरेंद्र सहवाग (Sehwag Shocking Revelation) ने अपने करियर में कई यादगार पारियां खेलीं। टेस्ट क्रिकेट में उनका स्ट्राइक रेट 82.23 और वनडे में 104.33 रहा, जो उनकी आक्रामक शैली को दर्शाता है। सहवाग 2011 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के अहम सदस्य रहे और इस खिताबी सफलता में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा।
हाल ही में (Sehwag Shocking Revelation) सामने आया है कि सहवाग 2008 में अचानक वनडे संन्यास लेना चाहते थे। उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ त्रिकोणीय सीरीज के दौरान महेंद्र सिंह धोनी ने उन्हें बाहर कर दिया था। सहवाग ने कहा “मैंने शुरुआती तीन मैच खेले, लेकिन फिर धोनी ने मुझे टीम से ड्रॉप कर दिया। उसके बाद लगा कि अगर प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं हूं तो वनडे क्रिकेट जारी रखने का कोई अर्थ नहीं है।”
सहवाग ने खुलासा किया कि तब उन्होंने सचिन तेंदुलकर से राय मांगी। सचिन ने उन्हें समझाया कि भावनाओं में आकर बड़ा निर्णय लेना ठीक नहीं है। सचिन ने कहा – “मैं भी 1999-2000 में ऐसे दौर से गुजरा था, लेकिन समय ने सब बदल दिया। तुम भी 1-2 सीरीज इंतजार करो और फिर फैसला लो।” यही सलाह सहवाग के लिए टर्निंग प्वाइंट बनी।
भले ही 2008 की सीरीज में उनका प्रदर्शन सामान्य रहा – 5 मैचों में सिर्फ 81 रन, लेकिन इसके बाद सहवाग ने दमदार वापसी की। उन्होंने अगली सीरीज में जमकर रन बनाए और एक बार फिर भारतीय टीम के उपकप्तान बने। 2012 तक वो धोनी की कप्तानी वाली टीम के मजबूत स्तंभ बने रहे। सहवाग का आखिरी इंटरनेशनल मुकाबला मार्च 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच था। बाद में 20 अक्टूबर 2015 को, अपने जन्मदिन पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई की घोषणा कर दी।
स्पष्ट है कि (Sehwag Shocking Revelation) ने दिखाया कि अगर सचिन की सलाह न होती, तो शायद सहवाग का करियर जल्दी ही थम जाता। लेकिन संयम और मार्गदर्शन ने उन्हें क्रिकेट इतिहास में अमर बना दिया।