Friday, November 8, 2024
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Sanjari Balod Vidhansabha : संगीता पर फिर दांव खेल सकती है कांग्रेस, बीजेपी नए चेहरे की कर रही तलाश

Sanjari Balod Assembly Elections : बालोद जिले का संजारी बालोद विधानसभा (Sanjari Balod Vidhansabha) क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा है। साहू और सिन्हा समाज के वोट इस विधानसभा में मायने रखते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बालोद जिले की सौगात दी थी, लेकिन बदले में बीजेपी को यहां से एक अदद सीट भी नसीब नहीं हो सकी। संजारी बालोद से इस समय संगीता सिन्हा विधायक हैं। इससे पहले उनके पति भैयाराम सिन्हा इसी सीट से विधायक रह चुके हैं।

इस बार भी संगीता सिन्हा को कांग्रेस (Sanjari Balod Vidhansabha) उम्मीदवार बना सकती है। इसके बावजूद यहां से 4 से 5 उम्मीदवार अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं, लेकिन संगीता सिन्हा को दरकिनार करना आसान नहीं होगा। क्योंकि आम जनता के बीच सीधी पहुंच उनकी सबसे बड़ी ताकत है। कांग्रेस का हर छोटा से छोटा कार्यकर्ता सिन्हा के पास जाकर सीधी अपनी बात रख सकता है। ऐसे में उनकी लोकप्रियता कहीं से भी कम नहीं हुई है।


संगीता सिन्हा के अपनी अब तक के हुए कार्यकाल में करोड़ों के विकास कार्य को भुनाने में लगी हुई हंै। वही हाल ही में विधानसभा के अंतिम सत्र के दौरान संगीता सिन्हा को छत्तीसगढ़ में उत्कृष्ट विधायक का दर्जा दिए जाने की उपलब्धि को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनाने में कांग्रेसी जुट गए हैं।

जगह-जगह इस उपलब्धि को भुनाया जा रहा है। तो वहीं विधायक का शहर से लेकर गांव गांव में स्वागत सम्मान चल रहा है। विधायक संगीता लगातार क्षेत्र के दौरे पर रहती हैं और लोगों की समस्याएं सुनती रहती हैं। कई बहुप्रतीक्षित मांग उनके कार्यकाल में पूरी हुई है। जिसका लाभ आने वाले चुनाव में मिल सकता है। तो वहीं चर्चा बलवती होती नजर आ रही है एक बार फिर से बालोद सीट पर कांग्रेस वर्तमान विधायक (Sanjari Balod Vidhansabha) के चेहरे पर ही दांव खेल सकती है।

हालांकि यहां दावेदारों की कमी भी नहीं है। दावेदार भी सक्रियता दिखाते रहते हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की नियुक्ति के बाद दावेदार अप्रत्यक्ष तो कहीं प्रत्यक्ष शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका नजारा विगत दिनों तब दिखा जब पुरूर में दीपक बैज का आगमन हुआ था। तो वहीं भाजपा की लिस्ट दावेदारों की लंबी है। जहां भाजपा इस बार पूरी कोशिश में लगी है की कैसे इस सीट पर कब्जा किया जाए। पर लगातार भाजपाइयों का मुद्दा विहीन प्रदर्शन उनके लिए चुनौती है।

वहीं भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। भाजपा में चाणक्य की कमी नहीं है। कोई नेता अपने दावेदार को आगे करता है कोई अपने। अंदर अंदर भाजपा कमजोर हो जाती है। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को बालोद जिले में विधानसभा में भाजपा की गुटबाजी को दूर करना पहली चुनौती है। पिछले चुनाव में बालोद ब्लाक से प्रत्याशी पवन साहू चुनाव मैदान में थे लेकिन काफ ी कोशिश के बाद भी चुनाव नहीं जीत पाए। इस बार उन्हें प्रदेश किसान मोर्चा पर बड़ा पद देकर संतुष्ट तो किया गया है लेकिन क्या उनकी इच्छाएं फिर से चुनाव में उतरने की है या फिर दूसरे को मौका देने की तलाश भाजपा कर रही है ये वक्त ही बताएगा।

मतदाताओं पर एक नजर
कुल वोटर्स
2,15,861
पुरुष मतदाता
1,06,438
महिला मतदाता
1,09, 421

कैसा है जातिगत समीकरण : संजारी बालोद विधानसभा सीट (Sanjari Balod Vidhansabha) पर साहू समाज का दबदबा रहा है, लेकिन पिछले दो बार के चुनाव में सिन्हा समाज की एकजुटता ने प्रत्याशी को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र में 57 प्रतिशत ओबीसी मतदाता हैं। 22 फीसदी अनुसूचित जनजाति और 15 फ ीसदी सामान्य वर्ग से है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग से 6.79 प्रतिशत मतदाता हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछड़ा वर्ग से ही आने वाले समय में भी भाजपा और कांग्रेस से प्रत्याशी मैदान में उतरते आ रहे हैं।

पिछले परिणामों पर एक नजर : 2018 के चुनाव में संजारी बालोद सीट से कांग्रेस की संगीता सिन्हा ने 27488 वोटों से जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के उम्मीदवार को 90428 वोट, वहीं बीजेपी के पवन साहू को 62940 वोट मिले थे। जेसीसी जे के अरूण हिरवानी को 12 हजार 664 वोट मिले। जबकि 2 हजार 913 लोग इन प्रत्याशियों को नकारते हुए नोटा को अपना मत दिया था।

2013 विधानसभा चुनाव

भैयाराम साहू, कांग्रेस, कुल वोट मिले 88874

प्रीतम साहू, बीजेपी, कुल वोट मिले 58441

2011 उपचुनाव

मदन साहू, बीजेपी, कुल वोट मिले 64185

मोहन पटेल, कांग्रेस, कुल वोट मिले 54520

2008 विधानसभा चुनाव

मदन साहू, बीजेपी, कुल वोट मिले 56620

मोहन पटेल, कांग्रेस, कुल वोट मिले 49984