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Rajnandgaon Vidhansabha : इस सीट पर बीजेपी हैट्रिक बना चुकी, कांग्रेस का एक ही परिवार पर भरोसा

जगदीश पटेल/रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की एक विधानसभा (Rajnandgaon Vidhansabha) सीट ऐसी है जहां पर भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगा चुकी है। ऐसे में उस सीट पर कांग्रेस पिछले 15 सालों से बस हार रही है। इस सीट पर कांग्रेस नम्बर दो पर रही है। यहां पर केवल भाजपा का डंका बजता रहा है। हम बात कर रहे है राजनांदगांव विधानसभा सीट की। इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस जीत के सभी पैमाने आजमा लिए मगर कोई युक्ति काम न आई।

छत्तीसगढ़ में संस्कारधानी के नाम से पहचाना जाने वाला राजनांदगांव (Rajnandgaon Vidhansabha) 15 वर्षों तक सत्ता का केंद्र बिंदु बना रहा। भाजपा शासनकाल में डॉ. रमन सिंह पहले पांच वर्ष तक इसी जिले के डोंगरगांव से विधायक रहे। उसके बाद से दो कार्यकाल उन्होंने राजनांदगांव से विधायक रहते मुख्यमंत्री के रूप में शासन का नेतृत्व किया।

वर्ष 2018 के चुनाव में डॉ. रमन के सामने कांग्रेस ने भाजपा से आई पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला को मैदान में उतारा था। उन्होंने टक्कर कड़ी दी थी। 2013 में रमन सिंह 35866 से मतों से जीते थे, लेकिन पिछली बार जीत का अंतर मात्र 16933 हजार ही रह गया था। अब करूणा शुक्ला का देहावसान हो चुका है

कांग्रेस का एक ही परिवार पर रहा भरोसा : राजनांदगांव सीट (Rajnandgaon Vidhansabha) पर कांग्रेस ने एक ही परिवार पर भरोसा कायम रखा। 1993 से मुदलियार परिवार इस सीट पर चुनाव लड़ते आ रहा। इस दौरान दो बार ऐसा आया जब यहां कांग्रेस जीतने में कामयाब रही। इसके बाद 2008 से लगातार पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह इस सीट पर चुनाव जीत रहे। 2018 में जब सीएम भूपेश बघेल तब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष थे। उन्होंने इस सीट को करीब से देखा व जाना। इसके बाद कांग्रेस मुदलियार परिवार से बाहर निकल कर दिवंगत करूणा शुक्ला को प्रत्याशी बनाया, उन्होंने जीत नसीब नहीं हुई, पर डॉ. रमन सिंह को कड़ी टक्कर दी।

मेयर हेमा समेत ये प्रमुख दावेदार : 2023 विधानसभा (Rajnandgaon Vidhansabha) चुनाव की बात करें तो कांग्रेस से वर्तमान में महापौर हेमा देशमुख सबसे प्रमुख व सशक्त दावेदार हैं। इसके अलावा निखिल द्विवेदी और जितेंद्र मुदलियार भी दावेदारी कर रहे हैं। इस सीट पर कांग्रेस व बीजेपी के बीच ही सीधा मुकाबला होने के आसार है। यहां किसी तीसरे दल की कोई गुजाइंश भी नहीं दिख रही। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) का कोई जनाधार नहीं है। दिल्ली व पंजाब के बाद अन्य राज्यों में जमीन तलाशने में लगी आम आदमी पार्टी के लिए भी वर्तमान में यहां कोई संभावना नहीं दिख रही।

डॉ. रमन सिंह का कोई तोड़ नहीं : राजनांदगांव सीट (Rajnandgaon Vidhansabha) से लगातार तीसरी बार विधायक डा. रमन सिंह को लोग चौथी बार भी अपने नेता के रूप में देखना पसंद कर रहे हैं। चुनाव में लगभग चार माह ही शेष है। चौराहों पर होने वाली चर्चाओं में डा. रमन का नाम पहली पंक्ति में लिया जा रहा है। सत्ता किसकी भी आए, लोग रमन को ही विधायक बनाना चाहते हैं। इसे लेकर भाजपा संगठन में भी एकराय है। वैसे कई नए दावेदार भी हैं, जिनमें नीलू शर्मा और पूर्व सांसद व मेयर मधुसुधन यादव का नाम शामिल हैं।

राजनांदगांव विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास : राजनांदगांव विधानसभा सीट (Rajnandgaon Vidhansabha) से सबसे पहले 1967 में कांग्रेस से किशोरीलाल शुक्ला विधायक चुने गए। अगले विधानसभा चुनाव 1972 में किशोरीलाल ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा, लेकिन आपातकाल से उपजे सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस का यह किला ढह गया। विधानसभा चुनाव 1977 में जनता दल के ठाकुर दरबार सिंह ने किशोरीलाल शुक्ला को हराकर राजनांदगांव विधानसभा सीट पर अपना कब्जा कायम किया। 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में फि र किशोरीलाल शुक्ला निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए यहां से विधायक चुने गए। इसके बाद साल 1985 में कांग्रेस से बलबीर खानुजा और 1990 में भाजपा के लीलाराम भोजवानी विधायक चुने गए। 1990 में भाजपा ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की।

1993 से 2008 तक कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर : साल 1993 के विधानसभा चुनाव में राजनांदगांंव से कांग्रेस के युवा नेता उदय मुदलियार विधायक चुने गए। साल 1993 से 1998 तक वह इस सीट से विधायक रहे। 1998 के विधानसभा चुनाव में यहां एक बार फि र कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। भाजपा के लीलाराम भोजवानी ने उदय मुदलियार को पटखनी देकर इस सीट पर कब्जा किया और वह 2003 तक विधायक रहे, लेकिन नए राज्य बनने के बाद पहले विधानसभा चुनाव 2003 में हुए। इस बार कांग्रेस के उदय मुदलियार ने फिर कमबैक किया। 2003 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर मुदलियार 2008 तक विधायक बने रहे।

2008 से राजनांदगांव भाजपा का अभेद किला : साल 2008 के विधानसभा चुनाव (Rajnandgaon Vidhansabha) में छत्तीसगढ़ के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह राजनांदगांव से विधायक चुने गए। इसके बाद से लेकर तीन कार्यकाल अर्थात 2008, 2013 और 2018 में यहां से भाजपा का एकतरफ ा कब्जा रहा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में डॉ रमन सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार और उदय मुदलियार की पत्नी अलका उदय मुदलियार को 35 हजार 866 वोटों से करारी शिकस्त दी। हालांकि 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडऩे वाली करुणा शुक्ला ने डॉ रमन को कड़ी टक्कर दी, लेकिन भाजपा के इस किले को वह भी भेद नहीं सकीं। 2018 विधानसभा चुनाव में 16,933 वोटों के अंतर से करुणा शुक्ला को हराकर डॉ रमन सिंह विधायक चुने गए।

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