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Navami Kanya Pujan Muhurt : नवमी पर आज इतने बजे है कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त, नोट कर लें टाइमिंग

Navami 2025 Kanya Pujan Muhurt : उदिया तिथि के अनुसार, 6 अप्रैल 2025 को रामनवमी का पर्व मनाया जा रहा है। नवमी के दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त रविवार, 6 अप्रैल को सुबह 11:59 से लेकर दोपहर 12:50 बजे तक रहेगा।

Navami 2025 Kanya Pujan Muhurt : आज रामनवमी (Navami Kanya Pujan Muhurt) का त्योहार है, जिसे देशभर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन चैत्र नवरात्र का समापन भी है, और नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र समाप्त होते हैं। कहा जाता है कि नवमी पर कन्या पूजन करने से आदिशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है। आइए, जानते हैं कि इस बार रामनवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त क्या होगा।

 

भगवान राम और मां सिद्धिदात्री की पूजा (Navami 2025 puja vidhi)

रामनवमी (Navami Kanya Pujan Muhurt) के अवसर पर भगवान राम के साथ मां सिद्धिदात्री की भी पूजा की जाती है। नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा के लिए निर्धारित स्थान को साफ करें और वहां गंगाजल छिड़कें। इसके बाद लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर श्रीराम और मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीपक जलाएं, फूल और फल चढ़ाएं, और रामचरितमानस तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

रामनवमी की तिथि (Navami 2025 Date)

हिंदू पंचांग (Navami Kanya Pujan Muhurt)  के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 अप्रैल 2025 को शाम 07:26 बजे से प्रारंभ होगी और 6 अप्रैल 2025 को शाम 07:22 बजे तक चलेगी। हिंदू धर्म (Navami Kanya Pujan Muhurt) में उदिया तिथि का विशेष महत्व है, और इसी कारण 6 अप्रैल 2025 को रामनवमी का पर्व मनाया जा रहा है।

 

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त (Navami 2025 Kanya pujan shubh muhurt)

हिंदू पंचांग के अनुसार, महानवमी पर कन्या पूजन (Navami Kanya Pujan Muhurt) का शुभ मुहूर्त रविवार, 6 अप्रैल को सुबह 11:59 से लेकर दोपहर 12:50 तक रहेगा। इसका मतलब है कि कन्या पूजन के लिए आपको केवल एक घंटे का समय मिलेगा।

कन्या पूजन की विधि (Navami 2025 Kanya pujan vidhi)

रामनवमी के अवसर पर नौ छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर पूजा (Navami Kanya Pujan Muhurt) करने की परंपरा है। इस दिन इन कन्याओं के चरण स्पर्श करके उन्हें भोजन कराया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। साथ ही, एक छोटे बालक को भी घर बुलाया जाता है, जिसे बटुक भैरव कहा जाता है। आइए, अब हम कन्या पूजन की प्रक्रिया को समझते हैं।

1. सबसे पहले, कन्याओं को एक दिन पहले निमंत्रण देकर अपने घर बुलाएं।
2. जब कन्याएं घर आएं, तो उनके पैर धोकर उन पर पुष्प वर्षा करें।
3. इसके बाद, उन्हें साफ आसन पर बैठाएं।
4. उनकी आरती करें और चंदन का टीका लगाएं, फिर उनके हाथ में रक्षासूत्र बांधें।
5. इसके बाद, कन्याओं को भोजन कराएं, ध्यान रखें कि उनके खाने में लहसून और प्याज न हो।
6. भोज में उन्हें खीर-पूरी, चने की सब्जी, फल, मिठाई आदि परोसें।
7. भोजन के बाद, उनके हाथ धोएं।
8. फिर, उन्हें दान-दक्षिणा या उपहार दें।
9. अंत में, उनके पैर छूकर प्रणाम करें और उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करें।
10. कन्या पूजन के बाद, स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। फिर कलश, ज्वार, अखंड ज्योति और अन्य पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें।

 

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