Krishi Sakhi Training Program : कृषि सखियां अब किसानों को सिखाएंगी रसायन मुक्त खेती के गुर

By admin
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Krishi Sakhi Training Program
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Sarangarh News : राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (Krishi Sakhi Training Program) के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में किसानों को अब प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिसके लिए महिला कृषि सखियों की एक प्रशिक्षित टीम तैयार की जा रही है। इस पहल की शुरुआत राज्य गो सेवा आयोग के अध्यक्ष विशेषर पटेल के निर्देश पर सारंगढ़ प्रवास के दौरान हुई, जिसके बाद जिला कृषि विभाग ने तत्परता दिखाते हुए इसे अमल में लाना शुरू कर दिया है।

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कृषि कार्यालय बरमकेला के बैठक कक्ष में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला (Krishi Sakhi Training Program) में जिले के नोडल अधिकारी जयप्रकाश गुप्ता द्वारा बरमकेला विकासखंड के प्रत्येक क्लस्टर से दो कृषि सखियों का चयन किया गया। चयनित कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती की बारीकियों से अवगत कराया गया, ताकि वे गांव-गांव जाकर किसानों को रसायन मुक्त, कम लागत वाली खेती के लिए प्रशिक्षित कर सकें।

किसानों को मिलेगा आर्थिक लाभ (Krishi Sakhi Training Program)

प्रशिक्षण के दौरान नोडल अधिकारी जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से किसानों को न केवल आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि उन्हें बेहतर उपज, स्वच्छ वातावरण और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य उत्पाद भी प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि यह पहल ग्रामीण क्षेत्र के समग्र विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो आत्मनिर्भरता और सतत कृषि को प्रोत्साहित करेगा।

कार्यशाला में कृषि सखियों (Krishi Sakhi Training Program) को कीट प्रबंधन की पारंपरिक तकनीकों, मित्र कीटों की पहचान, उनके संरक्षण के उपाय, पोषक तत्व प्रबंधन और व्याधि नियंत्रण के प्राकृतिक तरीके सिखाए गए। प्रशिक्षण में खरीफ फसलों में प्राकृतिक खेती के लाभों और चुनौतियों पर भी चर्चा की गई।

कार्यक्रम में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बसंत कुमार नायक, टिकेश्वरी महापात्र जलाकोना सहित कई अनुभवी अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने कृषि सखियों से यह अपील की कि वे इस ज्ञान को गांव के हर किसान तक पहुंचाएं और उन्हें जैविक खेती की ओर प्रेरित करें।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया है कि अब कृषि सखियां न केवल ज्ञान की वाहक बनेंगी, बल्कि वे किसानों को प्राकृतिक खेती की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित भी करेंगी। इस पहल से जिले में एक नई हरित क्रांति की नींव रखी जा रही है, जिसमें प्रकृति, किसान और उपभोक्ता – तीनों का संतुलन सुनिश्चित होगा।

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