Bio Input Resource Centre : कृषि विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन किसानों और कृषि सखियों (Krishi Sakhiyan) के लिए वरदान साबित हो रहा है। इसी मिशन के अंतर्गत राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम मोखला और भर्रेगांव की प्रयास एवं उन्नति महिला स्वसहायता समूह की कृषि सखियों ने प्राकृतिक खेती को अपनाकर न केवल अपने क्षेत्र को रसायन मुक्त खेती की दिशा में आगे बढ़ाया है, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता की मिसाल भी पेश की है।
इन महिला स्वसहायता समूहों (Krishi Sakhiyan) की दीदियों ने एकजुट होकर गौ आधारित जैव उत्पादों के निर्माण का कार्य शुरू किया और गांव में ही बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर (BIRC) की स्थापना की। इसके माध्यम से उन्होंने जीवामृत, बीजामृत, धनामृत, आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र, निमास्त्र, पंचगव्य एवं दशपर्णी अर्क जैसे जैव उत्पादों का निर्माण कर किसानों को उपलब्ध कराना शुरू किया। इन जैव आदानों के उपयोग से किसानों की खेती की लागत में कमी आई है और रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों पर निर्भरता समाप्त होने लगी है।
कृषि विभाग के सहयोग से महिला स्वसहायता समूहों (Krishi Sakhiyan) को जैव आदान निर्माण का व्यवस्थित प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण उपरांत गांव में ही जैव आदान विक्रय केंद्र प्रारंभ किया गया, जहां उच्च गुणवत्ता की प्राकृतिक खेती से संबंधित सामग्री किसानों को न्यूनतम दर पर उपलब्ध कराई जा रही है। इसका सीधा लाभ यह हुआ कि क्षेत्र के किसान कीट-व्याधियों की रोकथाम और फसलों के पोषण के लिए अब रसायनों के स्थान पर जैव उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं।
(Krishi Sakhiyan) राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से जोड़ा
महिला स्वसहायता समूहों की इस नवाचारी पहल को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा उन्हें जिले में संचालित राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से जोड़ा गया। इसके अंतर्गत 375 एकड़ क्षेत्र में प्राकृतिक खेती क्लस्टर का गठन कर समूह को जैव आदान सामग्री निर्माण और आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी गई। समूह की कृषि सखियों ने ग्राम धामनसरा, ढोड़िया, भोड़िया, मोखला, भर्रेगांव, बांकल और पनेका सहित आसपास के गांवों में किसानों को फसल की बोवाई से लेकर कटाई तक विभिन्न अवस्थाओं में अनुशंसित जैव आदान उपलब्ध कराए।
खरीफ सीजन के दौरान समूह द्वारा लगभग 1200 लीटर दशपर्णी अर्क, 1200 लीटर ब्रह्मास्त्र एवं निमास्त्र सहित अन्य जैव उत्पादों का निर्माण और वितरण किया गया। केवल सामग्री वितरण ही नहीं, बल्कि कृषि सखियों ने स्वयं किसानों के खेतों में जाकर जैव आदानों के उपयोग की विधि भी समझाई, जिससे प्राकृतिक खेती को व्यवहारिक रूप से अपनाने में किसानों को सहायता मिली।
एक-एक लाख रुपये की आमदनी
इस संगठित प्रयास का परिणाम यह रहा कि खरीफ सीजन में प्रत्येक महिला स्वसहायता समूह (Krishi Sakhiyan) ने लगभग एक-एक लाख रुपये की आमदनी अर्जित की और कृषि सखियां लखपति बनने की दिशा में आगे बढ़ीं। ग्राम भर्रेगांव स्थित बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर की अध्यक्ष नीतू चंद्राकर ने बताया कि प्राकृतिक खेती के लिए जैव आदान सामग्री का निर्माण करना उन्हें आत्मसंतोष देता है। इससे न केवल आजीविका सशक्त हुई है, बल्कि जहरीले रसायनों से होने वाली बीमारियों के प्रति समाज को जागरूक करने का अवसर भी मिला है।
उन्होंने यह भी कहा कि वे गांव की अन्य महिलाओं को स्वसहायता समूहों (Krishi Sakhiyan) से जोड़कर बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर को और विस्तारित करना चाहती हैं, ताकि अधिक से अधिक किसानों तक जैव आदान सामग्री पहुंचाई जा सके और प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़े। यह पहल न केवल महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण की कहानी है, बल्कि सतत, सुरक्षित और रसायन मुक्त कृषि की दिशा में एक प्रेरक उदाहरण भी है।


