Thursday, November 7, 2024
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Cabinet Baithak :  साढ़े 4 घंटे तक चली कैबिनेट बैठक में शराब को लेकर बड़ा निर्णय…

CG Cabinet Meeting Update : छत्तीसगढ़ में अगले वित्तीय वर्ष में एक भी नई शराब दुकान नहीं खोली जाएगी। नवा रायपुर स्थित महानदी मंत्रालय भवन में बुधवार हुई साय कैबिनेट की बैठक (Cabinet Baithak) में ये फैसला लिया गया है। इसके साथ ही बैठक में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित बजट को अगले सत्र में विधानसभा में पेश करने के लिए छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक-2024 के मसौदे का अनुमोदन किया गया। वहीं जिला जजों के पदनाम बदलने का भी फैसला लिया गया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षा में हुई कैबिनेट बैठक (Cabinet Baithak) में छत्तीसगढ़ के षष्ठम् विधानसभा के द्वितीय सत्र फरवरी-मार्च 2024 के लिए राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इसके अलावा तृतीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2023-2024 का विधानसभा में उपस्थापन हेतु छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।

छत्तीसगढ़ आबकारी नीति वित्तीय वर्ष 2024-25 का अनुमोदन किया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि कोई भी नई मदिरा दुकान नहीं खोली जाएगी। वहीं छत्तीसगढ़ सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया है। इस संशोधन में ‘जिला न्यायाधीश’ को ‘प्रधान जिला न्यायाधीश’ और ‘अपर जिला न्यायाधीश’ को ‘जिला न्यायाधीश’ करने का प्रावधान रखा गया है।

इसी तरह ‘व्यवहार न्यायाधीश प्रथम वर्ग’ को ‘व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी’ तथा ‘व्यवहार न्यायाधीश द्वितीय वर्ग’ को ‘व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी’ तथा ‘जिला न्यायालय’ को ‘प्रधान जिला न्यायालय’ से प्रतिस्थापित करने का प्रावधान रखा गया है। उच्च न्यायालय बिलासपुर में ज्वाईंट रजिस्ट्रार (एम) के 5 पद आकस्मिकता निधि से सृजित करने का निर्णय लिया गया है। जजों के पदनाम में भी बदलाव राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक में जजों के पदनाम बदलने पर फैसला किया है।

इसके तहत अब छत्तीसगढ़ सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया है। इस संशोधन में ‘जिला न्यायाधीश’ को ‘प्रधान जिला न्यायाधीश’ और ‘अपर जिला न्यायाधीश’ को ‘जिला न्यायाधीश’ कहा जाएगा। इसी तरह ‘व्यवहार न्यायाधीश प्रथम वर्ग’ को ‘व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी’ और ‘व्यवहार न्यायाधीश द्वितीय वर्ग’ को ‘व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी’ , ‘जिला न्यायालय’ को ‘प्रधान जिला न्यायालय’ कहा जाएगा।