War 2 Review : ऋतिक और जूनियर NTR की बहुप्रतीक्षित भिड़ंत निकली फीकी, कहानी में नहीं दिखा दम

War 2 Review Hrithik Vs Junior Ntr : YRF की अगली बड़ी फिल्म 'वॉर 2' सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. ऋतिक रोशन और जूनियर की टक्कर देखने का फैन्स का इंतजार अब फाइनली खत्म हुआ. अयान मुखर्जी की प्लानिंग कितना काम आई है. सभी सवालों के जवाब इस रिव्यू में आपको मिलेंगे. इसलिए अगर सोशल मीडिया पर मिक्स्ड रिएक्शन देखकर परेशान हैं और सोच रहे रहे हैं कि फिल्म देखें या नहीं? तो पहले रिव्यू पढ़िए

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War 2 Review

War 2 Review Hrithik Vs Junior Ntr : YRF की मच-अवेटेड फिल्म ‘वॉर 2’ आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। ऋतिक रोशन और जूनियर NTR के आमने-सामने आने का इंतजार कर रहे फैंस के लिए ये मौका किसी त्योहार से कम नहीं था। अयान मुखर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म से दर्शकों को बहुत उम्मीदें थीं। लेकिन क्या वाकई ‘वॉर 2’ ने इन उम्मीदों पर खरा उतरने का काम किया है या ये भी बस एक और औसत जासूसी फिल्म बनकर रह गई? इस रिव्यू (War 2 Review) में जानते हैं सबकुछ।

कहानी

सालों पहले, भारत का सबसे कुशल एजेंट मेजर कबीर धालीवाल (ऋतिक रोशन) अचानक गायब हो जाता है। अब उसकी वापसी होती है, लेकिन इस बार वह देश के खिलाफ सबसे घातक योजना रच रहा है। उसे रोकने के लिए सरकार अपने सबसे जांबाज अफसर विक्रम (जूनियर NTR) को मैदान में उतारती है। विक्रम का अतीत भी रहस्यों से भरा है और उसके मिशन के पीछे सिर्फ देश की सुरक्षा ही नहीं, कुछ निजी वजहें भी छिपी हैं। काव्या थापर (कियारा आडवाणी) विक्रम की साथी बनती है, लेकिन उसका भी अपना मकसद है। सवाल यह है कि देश के लिए जान देने वाला कबीर कैसे देश का दुश्मन बन गया? क्या विक्रम और काव्या उसे रोक पाएंगे? इसका जवाब सिर्फ सिनेमाघर में मिलेगा।

(War 2 Review) कैसी है फिल्म

War 2 Review Hrithik Vs Junior Ntr में शुरुआत जबरदस्त है — ऋतिक का एंट्री सीन धमाकेदार है, उनका स्वैग और एक्शन देखते ही बनता है। लेकिन शुरुआती जोश के बाद कहानी की रफ्तार धीमी पड़ जाती है। प्लॉट में वही पुराने जासूसी थ्रिलर वाले ट्विस्ट हैं, जिन्हें हम कई बार देख चुके हैं। ऐसा लगता है जैसे अलग-अलग फिल्मों के टुकड़े जोड़कर एक नया पैकेज तैयार किया गया हो। आज के दौर में जहां OTT पर रियलिस्टिक खुफिया कहानियां देखने की आदत हो चुकी है, वहां ये फिल्म बासी लगने लगती है।

निर्देशन

अयान मुखर्जी से उम्मीद थी कि वो जासूसी यूनिवर्स में ताजगी लाएंगे, लेकिन यहां उन्होंने स्टार पावर पर ज्यादा भरोसा किया और कहानी को मजबूत करने पर कम। निर्देशन में ऊर्जा है, लेकिन स्क्रिप्ट में कसावट की कमी साफ दिखती है। कई सीन लंबा खींचे गए हैं और कुछ मोमेंट्स बिल्कुल लॉजिक से परे लगते हैं।

अभिनय

ऋतिक रोशन अपने करिश्मे और परफेक्शन से पूरी फिल्म में छाए हुए हैं। कबीर के किरदार में उनका स्टाइल, डायलॉग डिलीवरी और एक्शन बेहतरीन है। भले ही रोल में गहराई कम है, पर उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस शानदार है। जूनियर NTR की बात करें तो उनका किरदार कमजोर तरीके से लिखा गया है।

उनकी क्षमता को देखते हुए उन्हें और बेहतर स्पेस मिलना चाहिए था। एक अच्छे डांसर होने के बावजूद, उनका डांस सीक्वेंस ऋतिक के मुकाबले उतना सहज नहीं लगता। कियारा आडवाणी का रोल ज्यादा असरदार नहीं है, वो ज्यादातर गानों और रोमांटिक सीन तक सीमित हैं। अनिल कपूर का किरदार भी अधूरा सा लगता है।

एक्शन और म्यूजिक

एक्शन सीक्वेंस भरे पड़े हैं और तकनीकी रूप से बेहतरीन हैं। स्पायरो रज़ातोस, फ्रांज़ स्पिलहाउस, एन.एल. अरसु, ओह सी यंग, क्रेग मैक्रे और सुनील रोड्रिग्स को इसका श्रेय जाता है। बैकग्राउंड स्कोर संचित और अंकित बल्हारा ने दिया है, जो मूड सेट करने में सफल है। प्रीतम के गाने ठीक-ठाक हैं, लेकिन पहले वाली ‘वॉर’ जितने यादगार नहीं बन पाए।

फाइनल वर्डिक्ट

अगर आप ऋतिक और जूनियर NTR के कट्टर फैन हैं, तो इन्हें एक साथ देखने का मजा जरूर आएगा। लेकिन दमदार कहानी और मजबूत केमिस्ट्री की उम्मीद रखने वालों को यह फिल्म निराश कर सकती है। एक्शन अच्छा है, कुछ इमोशनल मोमेंट्स भी हैं, लेकिन स्क्रिप्ट की कमियां भारी पड़ जाती हैं। कुल मिलाकर, ‘वॉर 2’ एक बड़े सपने जैसी है जो उड़ान तो भरती है, लेकिन मंज़िल तक नहीं पहुंच पाती।

 

 

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