Chhattisgarh News : राज्य सरकार (Chhattisgarh Cow Scheme) ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति को सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के छह जिलों—जशपुर, बलरामपुर, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद और सारंगढ़-बिलाईगढ़—में ‘दुधारू पशु प्रदाय योजना’ के तहत गाय बांटने की विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।
पायलट प्रोजेक्ट (Chhattisgarh Cow Scheme) के पहले चरण में 325 अनुसूचित जनजातीय परिवारों की महिलाओं को दो-दो साहीवाल नस्ल की कुल 650 गायें दी जाएंगी। यह योजना राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ मर्यादित के माध्यम से संचालित की जा रही है।
इस योजना (Chhattisgarh Cow Scheme) का शुभारंभ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जून के पहले सप्ताह में कोंडागांव जिले के भोंगापाल गांव से किया था। इसके क्रियान्वयन के बाद योजना को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
Chhattisgarh Cow Scheme के उद्देश्य और लाभ
अधिकारियों के अनुसार योजना का प्रमुख उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में डेयरी उद्यमिता को बढ़ावा देना, महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ना और उनके सामाजिक व आर्थिक स्तर में सुधार लाना है। साथ ही इससे राज्य में दुग्ध उत्पादन में भी वृद्धि होगी। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन लगभग 58 लाख किलोग्राम दूध का उत्पादन होता है, जिसे और बढ़ाने की दिशा में यह योजना एक ठोस कदम मानी जा रही है।
सरकार देगी 50 प्रतिशत अनुदान
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से इस योजना में प्रत्येक साहीवाल गाय की कीमत लगभग 75,000 रुपये निर्धारित की गई है। इसमें 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा अनुदान स्वरूप दी जाएगी, जबकि 40 प्रतिशत राशि बैंक ऋण के रूप में और शेष 10 प्रतिशत हितग्राही द्वारा वहन की जाएगी। गाय प्राप्त करने से पहले महिलाओं को पशुपालन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इससे उन्हें व्यवसायिक दक्षता मिलेगी और वे स्थायी रूप से डेयरी व्यवसाय से जुड़ सकेंगी।