Rath Yatra Puri : श्रद्धा की रस्सियों से बंधी आस्था! पुरी में आज निकलेगी ‘जगतपति’ भगवान महाप्रभु की रथयात्रा

पुरी में आज भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकलेगी। गुरुवार को नवयौवन वेश में दर्शन देकर भक्तों को किया अभिभूत, शुक्रवार को लाखों श्रद्धालु खींचेंगे रथ।

By admin
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ओडिशा के पुरी धाम में स्थित महाप्रभु जगन्नाथ जी की मंदिर। सोर्स : इंटरनेट मीडिया
Highlights
  • महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ सजकर तैयार, शुक्रवार को होंगे रवाना
  • गजपति महाराज सोने की झाड़ू से करेंगे रथ की शुद्धि, रथयात्रा मार्ग पर पुष्पवर्षा के इंतजाम

Jagannath Rath Yatra : विश्वविख्यात श्री जगन्नाथ रथ यात्रा (Rath Yatra Puri) आज शुक्रवार 27 जून को ओडिशा के पुरी धाम में श्रद्धा और उल्लास के साथ प्रारंभ होगी। भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा के विशाल रथ सज-धजकर तैयार हो चुके हैं। आज विधिवत अनुष्ठान के बाद महाप्रभु रथ पर विराजमान होंगे और मौसीबाड़ी की ओर प्रस्थान करेंगे, जहां लाखों भक्तगण रस्सियों से रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त करेंगे।

इससे पहले गुरुवार को भगवान ने अपने नवयौवन वेश में भक्तों को दर्शन दिए। प्रभु के नेत्रदान और पुनः जीवंत होने की यह परंपरा भक्तों को अध्यात्म से जोड़ती है। सुबह से ही मंदिर में विधि-विधान और मंत्रोच्चार के साथ अनुष्ठान आरंभ हुआ और भगवान जगन्नाथ (Rath Yatra Puri) के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।

रथयात्रा के दौरान श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) द्वारा सुरक्षा, स्वास्थ्य और आवागमन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में मेले का आयोजन भी होगा, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे। इसके बाद भगवान की लौटती रथयात्रा के माध्यम से वे पुनः श्रीमंदिर लौटेंगे।

दोपहर चार से रथ खींचने की प्रक्रिया प्रारंभ (Rath Yatra Puri)

आज दोपहर चार बजे से रथ खींचने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। इससे पहले पुरी के गजपति महाराज सोने की झाड़ू से रथों की शुद्धि करेंगे, जिसे ‘छेरा पहरा’ परंपरा कहा जाता है। रथों में घोड़े जोड़े जाएंगे, सारथी सवार होंगे, और परंपरागत वाद्य यंत्रों की धुन पर यात्रा प्रारंभ होगी।

ड्रोन के माध्यम से होगी पुष्पवर्षा (Rath Yatra Puri)

पूरे मार्ग पर ड्रोन के माध्यम से पुष्पवर्षा, सुरक्षा बलों की तैनाती और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। यह पर्व सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि संस्कृति, परंपरा और आस्था का उत्सव बन चुका है, जिसे देखने देश-विदेश से श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं।

 

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