Bastar Red Water Crisis : बस्तर के 38 गांवों में लाल पानी से हाहाकार, बीमार पड़ रहे ग्रामीण, मर रहे मवेशी

खनन का खामियाजा: बस्तर के गांवों में जहर बना पानी, प्रशासन से राहत की आस

By admin
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Highlights
  • बैलाडीला खदान से बह रहा लाल पानी बना ग्रामीणों की मुसीबत
  • उल्टी, दस्त और स्किन डिजीज फैली, मवेशियों की मौतें जारी
  • बोतलों में पानी भरकर पहुंचे कलेक्टोरेट, नहीं मिला अधिकारी
  • विधायक मंडावी ने जताई गंभीर चिंता, विधानसभा में उठाएंगे मुद्दा
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Bastar News : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले बस्तर के गंगालूर क्षेत्र के करका, कमकानार, चेरपाल, पुसनार, रेड्डी समेत 38 गांवों के ग्रामीण लाल पानी की गंभीर समस्या से परेशान हैं। बैलाडीला खदान से बहकर आ रहा रासायनिक लाल पानी स्थानीय नदियों और नालों में मिलकर उन्हें जहरीला बना रहा है।

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यही दूषित पानी (Bastar Red Water Crisis) ग्रामीण पीने, नहाने और खाना बनाने में मजबूरीवश इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उल्टी, दस्त, त्वचा रोग और मवेशियों की मौतें सामने आ रही हैं। ग्रामीण सोमवार को बोतलों में लाल पानी भरकर कलेक्टोरेट पहुंचे लेकिन एनएमडीसी अधिकारी नदारद रहे। इसके बाद नाराज ग्रामीणों ने कलेक्टर व एसडीएम से मिलकर ज्ञापन सौंपा।

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ग्रामीणों की व्यथा, प्रशासन से राहत की उम्मीद (Bastar Red Water Crisis)

गंगालूर के ग्रामीणों ने बताया कि लाल पानी (Bastar Red Water Crisis) पीने से अब तक दर्जनों मवेशी मर चुके हैं और कई लोग बीमार हैं। प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद समस्या जस की तस है। सोमवार को जब ग्रामीण बोतलों में लाल पानी भरकर कलेक्टोरेट पहुंचे तो वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। नाराज ग्रामीणों ने कलेक्टर से मिलकर तत्काल समाधान की मांग की।

विधायक ने जताई चिंता, विधानसभा में उठाएंगे मुद्दा

विधायक विक्रम मंडावी ने जनदर्शन में ग्रामीणों की शिकायत (Bastar Red Water Crisis) सुनकर कहा कि बैलाडीला खदान से निकलने वाला लाल प्रदूषित पानी बेरुकी नदी में मिलकर जहरीला बन चुका है। इससे खेती, पशुधन और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस विषय को वे विधानसभा में उठाएंगे और जिला प्रशासन से भी त्वरित कार्रवाई की मांग करेंगे।

 

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