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सात समंदर पार दुबई में मैनपाट के टाउ की मांग, पहली खेप में 120 किलो टाउ आटे की सप्लाई का आर्डर

रायपुर। छत्तीसगढ़ का शिमला और टाऊ की खेती के लिए प्रसिद्ध  मैनपाट की धमक अब सात समंदर पार तक पहुंच चुकी है। मैनपाट में उत्पादित टाऊ के आटे की मांग दुबई से आई है। पहली खेप में 120 किलो आटे की आपूर्ति की जाएगी। टाउ के आटे का उत्पादन सरगुजा के बिहान महिला किसान उत्पाद कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मैनपाट महोत्सव में आगमन के दौरान बिहान महिला किसान उत्पाद कंपनी लिमिटेड एवं शिवहरे वेयर हाउसिंग भोपाल के मध्य टाउ के आटे का एमओयू किया गया है। शिवहरे वेयर हाउसिंग द्वारा टाउ की आटे का मार्केटिंग किया जा रहा है। इसी कड़ी में दुबई से टाउ के 120 किलो आटे का आर्डर मिला है। जिसकी शीघ्र आपूर्ति की जाएगी।
कलेक्टर  संजीव कुमार झा के मार्गदर्शन में बिहान महिला किसान उत्पाद कंपनी लिमिटेड के महिला समूहों के द्वारा टाउ के प्रोसेसिंग कर आटे का उत्पादन किया जा रहा है, जिसकी मार्केटिंग के लिए एमओयू किया गया है। मैनपाट की महिलाओं के समूह द्वारा डेयरी उद्यमिता के क्षेत्र में कदम बढ़ाते हुए दुग्ध सागर परियोजना का संचालन करने के साथ ही हल्दी, मिर्च, मसाले, अचार, पापड़, मशरूम आदि का सफलतापूर्वक उत्पादन किया जा रहा है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि टाउ के सेवन से हार्ट, शुगर, बीपी एवं कैंसर जैसी बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलती है। इसमें विद्यमान जिंक, मैगनीज, कॉपर आदि मिनरल्स की अधिकता इसे हार्ट के लिए फायदेमंद बनाती है। टाउ में घुलनशील फाईबर की मौजूदगी, कोलेस्ट्रॉल कम करती है एवं आंतो को कैंसर की बीमारी से बचाने में मददगार है। शोध में टाउ में फेगोपाइरीटोल नाम एक विशेष कार्बाेहाइड्रेड भी पाया गया है, जो ब्लड शुगर को प्रभावी रूप से कम रखता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट रूटीन बायोफ्लेवोनॉयाड ब्लड सर्कुलेशन दुरूस्त रखते हुए बीपी नियंत्रित करता है।
गौरतलब है कि 60 के दशक में मैनपाट इलाके में तिब्बती शरणार्थियों के बसने के बाद पंपरागत खेती के रूप में टाउ की खेती की जाने लगी। टाउ को ओखला और बकव्हीट के नाम से भी जाना जाता है। टाउ की खेती में पानी कम खपत और कम देख-रेख और इसमें किसी भी तरह के कीटो और रोगों का आक्रमण नहीं होता और ना ही इसे मवेशी नुकसान पहुंचाते हैं। इस तरह टाउ का उत्पादन सस्ता, सरल और लाभदायक होता है, जिससे किसान इसकी खेती के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मैनपाट के इलाके में प्रति एकड़ टाउ का उत्पादन 8 से 10 क्विंटल होता है। टाउ के आटे को उपवास में फलाहार के रूप में खाने की परंपरा है। टाउ के आटे से हलवा ही नहीं बल्कि कई अन्य स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं जैसे कुटू की पकौड़ी, पूरी, चीले, पराठे यहां तक की डोसा और खिचड़ी भी बनाई जाती है। ऊर्जा से भरपूर होने के कारण इसे पूर्व यूरोप में इसका उपयोग मुख्य खाद्य पदार्थ के रूप में होता है।

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