रायगढ़। कोयला मंत्रालय ने केप्टिव के बजाय कमर्शियल यूज के लिए कोल ब्लॉकों की नीलामी का फैसला लिया है। इसके तहत 41 माइंस की सूची जारी की गई थी लेकिन छग सरकार ने पांच पर आपत्ति जताई थी। इन्हें हटाकर रायगढ़ की तीन नई खदानों को शामिल कर लिया गया है। इस संबंध में मंत्रालय ने आदेश भी जारी कर दिया है। देश में कोयले की जरूरत को पूरा करने के लिए कोल इंडिया पर ही निर्भरता है। कई बार डिमांड के अनुरूप उत्पादन और सप्लाई नहीं हो पाती तो फिर बिजली संकट की भी स्थिति हो जाती है। 2015 में केंद्र सरकार ने कोयला खदानों का आवंटन केप्टिव यूज के लिए शुरू किया था। अंतिम दो-तीन चरणों में कंपनियों की रुचि कम होने और वाजिब बोली नहीं लगने के कारण सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया है। अब कंपनियों को कमर्शियल यूज के लिए खदानें दी जाएंगी। मतलब कोल इंडिया की तरह ही निजी कंपनियां भी कोयला बेच सकेंगी। इसके लिए 41 माइंस को अधिसूचित किया गया था। इसमें रायगढ़ की गारे पेलमा 4/1, गापे 4/7 और फतेहपुर ईस्ट माइंस शामिल थी। लेकिन सरकार ने लेमरू एलीफेंट कॉरीडोर के दायरे में आने का कारण बताते हुए केंद्र सरकार से पांच खदानों को सूची से हटाने का आग्रह किया था। कोरबा की चार और रायगढ़ की एक माइंस को हटाने की मांग की गई थी। मंत्रालय ने इसे मान लिया और पांचों खदानों को हटा दिया, जिसमें रायगढ़ का फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक शामिल है। इसके बदले तीन नई खदानों को सूची में शामिल किया गया है। बुधवार को कोयला मंत्रालय ने अपडेट लिस्ट जारी कर दी जिसमें रायगढ़ के जरेकेला, डोलेसरा और झारपालम टांगरघाट माइंस के नाम हैं। डोलेसरा और जरेकेला घरघोड़ा तहसील के अधीन हैं। बाकी तीनों तमनार ब्लॉक में हैं। देश के 38 खदानों की सूची में छग से सात कोल ब्लॉक लिस्ट में हैं, जिसमें रायगढ़ के पांच हैं।
तीन खदानें तमनार की, धरमजयगढ़ को बाहर रखा: अब सूची में रायगढ़ की जिन पांच कोल ब्लॉक को रखा गया है, उनमें तीन तमनार की और दो घरघोड़ा की हैं। गारे पेलमा की दो खदानें तो पुरानी हैं, लेकिन जरेकेला, डोलेसरा और झारपालम टांगरघाट केवल चिह्नित हैं। तीनों पूरी तरह से नई माइंस हैं। जरेकेला का क्षेत्र करीब 19 वर्ग किमी, डोलेसरा का 15 वर्ग किमी और टांगरघाट का 13 वर्ग किमी है। छग सरकार की मांग पर धरमजयगढ़ की माइंस को हटाया गया। अब तक धरमजयगढ़ की एक भी खदान ऑक्शन में नहीं गई है। एक माइंस का आवंटन कर्नाटका पावर जेनरेशन को किया गया है।
प्रभावित गांवों में लगे खरीदी-बिक्री पर रोक: नई कोयला खदानों की लिस्ट सामने आने के बाद अब रायगढ़ जिले के भूमाफिया सक्रिय हो जाएंगे। कई कंपनियों आला अधिकारी, सरकारी कर्मचारी, राजनेता, व्यापारी आदि का फोकस उन्हीं प्रभावित गांवों में हो जाएगा। स्थानीय किसानों को बेवकूफ बनाकर खदान से प्रभावित होने वाली जमीन धोखे से खरीद ली जाएगी। इससे स्थानीय किसान को पुनर्वास का हक छिन जाएगा। एसईसीएल और तलाईपाली कोल ब्लॉक में ऐसे सैकड़ों प्रकरण हैं जिसमें स्थानीय किसान को नुकसान पहुंचाया गया। प्रशासन ऐसे प्रोजेक्ट घोषित होने के बाद प्रभावित गांवों में खरीदी-बिक्री पर रोक लगाता है।