धमतरी। साल के अंतिम दिन को एक ओर पूरी दुनिया उमंग व उल्लास के साथ विदा कर रहा, वहीं छत्तीसगढ़ धमतरी जिले के ग्राम खरेंगा के ध्रुव दम्पति और ग्रामीणों के लिए दु:खों का पहाड़ लेकर आया। आज से दो दिन पहले 28 दिसंबर को लेह-लद्दाख में माइनस 30 डिग्री में हड्डी कंपा देने वाली कड़ाके की ठण्ड में ड्यूटी के दौरान यहां के 24 वर्षीय वीर जांबाज सपूत सैनिक मनीष ध्रुव ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। मनीष अपनी ड्यूटी के प्रति बेहद संजीदा और कर्मठ थे। आज शहीद सैनिक मनीष ध्रुव को उनके गृहग्राम खरेंगा में अंतिम विदाई देने हजारों की संख्या में जनप्रतिनिधि, सेना के अधिकारी एवं पुलिस के जवान, पूर्व सैनिक, विभिन्न समाज के प्रतिनिधि सहित खरेंगा सहित आसपास के ग्रामीण पुरूष, महिला और बच्चे भी हजारों की तादाद में स्थानीय शांति घाट पहुंचे थे।
शहीद के शव पर नगरवासियों ने की पुष्पवर्षा : जिला अस्पताल धमतरी से आज सुबह 7.00 बजे से राष्ट्रध्वज तिरंगा में लिपटी शहीद मनीष की पार्थिव देह की अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें नगरवासियों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर शहीद जवान के प्रति अपनी शोक संवेदना प्रकट की। जिला अस्पताल से शुरू हुई अंतिम यात्रा नगर के रत्नाबांधा चौक, नगरघड़ी चौक, सदरबाजार, रामबाग, विंध्यवासिनी मंदिर वार्ड, दानीटोला वार्ड, नहरनाका चौक से ग्राम कोलियारी, अमेठी, कलारतराई, परसुली, दर्री होते हुए ग्राम खरेंगा पहुंची। इस दौरान रायपुर से आए मद्रास रेजिमेंट के 15 जवान मौजूद थे।
गूंजता रहा मनीष तेरा नाम रहेगा का नारा : जैसे ही शहीद मनीष की पार्थिव काया ग्राम खरेंगा पहुंची, स्थानीय युवकों ने ओजपूर्ण नारे लगाए। ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, मनीष तेरा नाम रहेगा…’ ‘शहीद मनीष अमर रहे…’ जैसे गगनभेदी नारे अंतिम संस्कार होते तक गूंजते रहे। खरेंगा के मुक्तिधाम में सुबह 11 बजे वीर जांबाज का अंतिम संस्कार भारतीय सेना के प्रोटोकॉल के साथ साथ उनके पिता ने सामाजिक रीति-रिवाज के साथ मुखाग्नि दी।घर का इकलौता चिराग था मनीष : खेतिहर मजदूर राजेन्द्र सिंह ध्रुव और शकुंतला बाई की दो संतानों में मनीष बड़ा है। उनकी छोटी बहन खिलेश्वरी की हाल ही में शादी हुई थी, जो अब ससुराल में रहती हैं। इस तरह मनीष के शहीद हो जाने के बाद नियति ने बूढ़े मां-बाप का इकलौता सहारा भी छीन लिया।देश सेवा में अग्रणी है ग्राम खरेंगा : धमतरी विकासखंड के ग्राम खरेंगा में देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वालों की कमी नहीं है। इसी ग्राम के असम राइफल्स में पंजाब के लुधियाना में अपनी सेवाएं दे रहे सैनिक सुरेश चक्रधारी ने बताया कि इस गांव में 30 से अधिक जवान भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा आसपास के ग्राम देवपुर, सारंगपुरी, दर्री सहित पड़ोस के गांवों के लगभग 50 से अधिक युवक भारतीय सेना के विभिन्न मोर्चों में तैनात रहकर देश सेवा में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीएससी तक शिक्षित 24 वर्षीय मनीष साल 2018 में भारतीय सेना की मराठा रेजिमेंट के लिए चयनित हुए थे। शिक्षा के दौरान वह एनसीसी के उत्कृष्ट कैडेट भी रहे। अपनी सादगी और शालीनता की वजह से वह पूरे गांव में विख्यात थे।अपार भीड़ ने भी दी भावभीनी श्रद्धांजलि : शहीद मनीष को श्रद्धांजलि देने 5 हज़ार से भी अधिक लोग ग्राम खरेंगा के मुक्तिधाम में पहुंचे थे। गौर करने वाली बात यह है कि पुरुष वर्ग के साथ-साथ महिलाएं भी मुक्तिधाम में शहीद मनीष को अंतिम विदाई देने पहुंची थीं। शमशान घाट में प्राय: महिलाएं जाती नहीं हैं, लेकिन मनीष के अंतिम दर्शन करने व श्रद्धासुमन अर्पित करने पारम्परिक वर्जनाओं को तोड़ते हुए महिलाओं और ग्राम की युवतियों ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई।