रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने ललन प्रताप सिंह को सरगुजा जिले व बाबूलाल अग्रवाल को सूरजपुर जिले का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है। प्रदेश में भाजपा के 7 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति नहींं हुई थी। इसमें राजधानी रायपुर शहरी-ग्रामीण, दुर्ग, भिलाई, कोरबा, सूरजपुर, बलरामपुर और सरगुजा जिले शामिल थे। बुधवार को सरगुजा व सूरजपुर में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति हो गई हैं। अब पांच जिले में होना बाकी है। साय ने अपने निर्वाचित होने के बाद अब तक पांच जिलों जशपुर, बस्तर, कांकेर, सरगुजा और सूरजपुर के अध्यक्ष घोषित किए हैं। शेष जिलों के लिए भी प्रदेश में संगठानात्मक स्तर पर रायशुमारी चल रही है।
नेताओं के साथ चल रहा वन टू वन: भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय लगातार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और संगठन महामंत्री पवन साय के साथ ही उन जिलों के भी दिग्गज नेताओं से वन टू वन कर रहे हैं, जहां के अध्यक्ष बचे हैं, लेकिन सभी नेताओं को एक नाम पर सहमत करने में सफलता नहीं मिल रही है। सबसे पहले बाहर के जिलों पर अध्यक्ष तय करने की कवायद चल रही है। अंत में रायपुर, दुर्ग और भिलाई का नंबर आएगा। यहां सबसे ज्यादा परेशानी है।
पूर्व सीएम के करीबी को रायपुर में मिलेगा मौका: जिन जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई हैं उनमें रायपुर शहर और ग्रामीण, भिलाई, दुर्ग में सबसे ज्यादा पेंच फंसा हुआ है। राजधानी रायपुर से डॉ. रमन सिंह के करीबी आरडीए के पूर्व अध्यक्ष भाजपा के प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का नाम पहले नंबर पर है। इसके अलावा जयंती पटेल का भी नाम है। शहर के विधायक बृजमोहन अग्रवाल खेमे से निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष सुभाष तिवारी का नाम आगे किया गया है। इसके साथ और कई नाम हैं, लेकिन इन पहले तीन नामों में से पहले दो नामों में से किसी एक का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है।
दो सांसदों में टकराव की स्थिति: राजधानी रायपुर से ज्यादा बड़ी परेशानी भिलाई और दुर्ग को लेकर है। यहां पहले भी मंडल अध्यक्षों के चुनाव के समय सांसद विजय बघेल और भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडेय के बीच टकराव की स्थिति बन चुकी है। यहां अध्यक्ष को लेकर सहमति बनाना आसान नहीं हैं। यहां इन दो दिग्गज नेताओं के साथ पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय और विधायक विद्यारतन भसीन की भी सहमति अहम होगी। सभी को एक नाम पर सहमत करना संगठन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। एक प्रयास यह किया जा रहा है कि एक खेमे को एक जिला तो दूसरे को दूसरा जिला दे दिया जाए। इसको लेकर बात चल रही है।