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विस अध्यक्ष डॉ. महंत के गृह क्षेत्र में बेखौफ चल रहा क्रिकेट सट्टा, ऐसा क्या माजरा है कि 15 बरस में आज तक अरूण पुलिस के हाथ नहीं आया!

सक्ती। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के गृह क्षेत्र मतलब सक्ती में क्रिकेट सट्टे का साम्राज्य खुलेआम नहीं बल्कि डंके की चोट पर चल रहा है। छत्तीसगढ़ में क्रिकेट सट्टे का किंग माने जाने वाला अरूण नामक शख्स इस काले कारोबार को प्रशासनिक, राजनैतिक व खाकी वर्दी की सरपरस्ती में संचालित कर रहा है। अरूण का आभामंडल तो देखिए, इस सफेदपोश ने अरबों की अकूत संपत्ति क्रिकेट सट्टे के बूते अर्जित की है। वहीं गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू अक्सर खुले मंच से कहते रहे है कि जिन थानों में सट्टे की संगीन शिकायतेें प्राप्त होगी, उन थाना प्रभारियों व संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी मगर गृहमंत्री श्री साहू की मंशा धरातल पर उतरती नजर नहीं आती है और कम से कम जांजगीर चांपा जिले के सक्ती में तो बिल्कुल नहीं। क्रिकेट सट्टे का डी याने अरूण का ऐसा आभामंडल है कि पिछले 15 वर्षों में वह आज तक पुलिस के हाथ नहीं आ सका है। इसके लिए पुलिस की प्रायोजित उदासीनता जिम्मेदार है। खाकी के संरक्षण में फल-फूल चुका यह व्यक्ति मध्यभारत के टॉप-5 खाईवालों में शुमार है।

पहरेदार क्यों लाचारी महसूस कर रहे: जब पहरेदार अपनी भूमिका पर फोकस करने और कत्र्तव्य निर्वहन में लाचारी महसूस करें तो विचित्र मंजर उत्पन्न होता है और इस हालात में दूसरों पर दोष मढऩे के बजाए आत्म अवलोकन करने की नितांत जरूरत आन पड़ती है। हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि क्योंकि जब सबकी आंखों पर पट्टी बंध जाए, जवाबदेह लोग तमाशबीन बन जाएं तो इस स्थिति की कल्पना स्वमेव की जा सकती है।

हाईटेक तरीके से संचालित करता है सट्टा: सक्ती का क्रिकेट सट्टा और इस व्यवसाय को चलाने वाला प्रभावशाली व्यक्ति बहुचर्चित अरूण। सक्ती में अरूण क्रिकेट सट्टे का अचूक खिलाड़ी माना जाता है और वह बरसों से सक्ती में बैठकर बिल्कुल हाईटेक अंदाज में बेखौफ खाईवाली करता है। ऐसी बात नहीं है कि पुलिस ने कभी उस पर हाथ डालने की कोशिश नहीं की परन्तु उच्चस्तरीय राजनैतिक संपर्क सूत्रों की वजह से अरूण पर आने वाली कार्रवाई की आंच शिथिल पड़ जाती है।

एसपी नीथू कमल ने दिखाई थी हिम्मत: तत्कालीन जांजगीर एसपी नीथू कमल के कार्यकाल के दौरान पुलिस ने अरूण के कई ठिकानों पर रेड किया मगर पुलिस में अरूण के खबरी पहले ही उसे सूचित कर देते थे जिसके कारण वह फरार होने में कामयाब हो गया। पुलिस ने दबाव बढ़ाया तो अरूण ओडि़शा में बैठकर खाईवाली करता रहा। बाद में अरूण ने अपने राजनैतिक आकाओं के दरबार में चढ़़ावा पेश किया फिर सब कुछ पहले की भांति सामान्य हो गया। अरूण, कतिपय राजनेताओं व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम लेकर धौंसपट्टी दिखाने से भी बाज नहीं आता है।

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