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प्रदेश में बिगड़ी कानून व्यवस्था पर लगाम लगाने के लिए लागू हो रही फ्रेंड्स ऑफ पुलिस योजना, रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर जिले से हो रही शुरूआत

रायपुर। बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर लगाम लगाने और स्थानीय स्तर पर इंटेलिजेंस को मजबूत करने के लिहाज से छत्तीसगढ़ पुलिस फ्रेेंड्स ऑफ पुलिस योजना लागू कर रही है। इसकी शुरूआत प्रदेश के तीन बड़े जिलों से हो रही है। इनमें राजधानी रायपुर, न्यायधानी बिलासपुर और दुर्ग शामिल है। इस योजना के तहत गांव से लेकर कस्बों तक आम लोगों को पुलिस मित्र बनाए जाएंगे। तमिलनाडु व राजस्थान की तर्ज पर लागू होने वाली इस योजना के तहत पुलिस निचले स्तर पर इंटेलिजेंस को मजबूत करने का प्रयास करेगी। पुलिस को इससे अपराधियों पर लगाम लगाने में सफलता मिलने की उम्मीद है। इन तीन बड़े जिलों में योजना सफल बनाने के बाद राज्य के सभी जिलों में इसे लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक एफओपी (फ्रेंड्स ऑफ पुलिस) से डीजीपी डीएम अवस्थी हर महीने वीडियो कांफ्रेसिंग से चर्चा करेंगे। कुछ दिन पहले ही पुलिस विभाग की बैठक आयोजित हुई थी। इसमें मुख्यमंत्री ने कम्यूनिटी पुलिसिंग पर जोर दिया था। इसके बाद डीजीपी डीएम अवस्थी ने एफओपी बनाने की रूपरेखा तैयार की है। इसके तहत समाज के प्रतिष्ठित लोगों और पढ़े-लिखे युवाओं को जोडऩा है, जो पुलिस की मदद करें। दरअसल, कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती हैं, जब मौके पर मौजूद लोग थाने के चक्कर लगाने के डर से सूचना नहीं देते, इसलिए पुलिस को पहुंचने में देर होती है। फ्रेंड्स ऑफ पुलिस अपने साथ-साथ लोगों को भी जागरूक करेंगे, जिससे दुर्घटना से लेकर अन्य अपराध की जानकारी पुलिस को समय पर मिलेगी। इससे हादसों में घायल लोगों की जान बचाई जा सकेगी, साथ ही, संदिग्ध गतिविधियों का भी पता चलता रहेगा।

जानिए, कैसे फ्रेंड्स ऑफ पुलिस से जुड़ सकेंगे लोग.. यदि आप रायपुर, दुर्ग या बिलासपुर में छत्तीसगढ़ पुलिस के फ्रेंड्स ऑफ पुलिस कार्यक्रम से जुडऩा चाहते हैं तो छत्तीसगढ़ पुलिस की वेबसाइट से फॉर्म डाउनलोड करना होगा। इसमें कुछ संक्षिप्त जानकारी भरकर द्घह्म्द्बद्गठ्ठस्रह्यशद्घश्चशद्यद्बष्द्ग२०२०ञ्चद्दद्वड्डद्बद्य.ष्शद्व पर भेजना होगा। जो जानकारी आपको देनी है उसमें नाम, पता, मोबाइल नंबर और फोटो के साथ संक्षिप्त बायोडाटा मेल करना होगा। मेल में आपका बायोडाटा पहुंचने के बाद उसका वेरिफिकेशन होगा और उसके बाद चयन होगा। चयन होने पर सूचना आपको दी जाएगी। जिनका काम अच्छा रहेगा, उन्हें पुलिस की ओर से परिचय पत्र दिया जाएगा। अपराध नियंत्रण या समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले को सम्मानित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में अपराधिक रिकार्ड वाले व्यक्ति फ्रेंड्स ऑफ पुलिस नहीं बन सकता।

तमिलनाडु में 27 साल पहले हुई थी शुरूआत: जानकारी के मुताबिक फ्रेंड्स ऑफ पुलिस की शुरुआत साल 1993 में तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले से हुई थी। यह एक सामुदायिक पुलिसिंग पहल और एक संयुक्त सरकारी संगठन है, जिसका मकसद पुलिस और जनता को करीब लाना है। मौजूदा वक्त में, पूरे तमिलनाडु के सभी पुलिस थानों में एफओपी के 4000 से भी ज्यादा स्वयंसेवी सदस्य हैं। ये सदस्य राज्य के आम लोगों में अपराध जागरूकता को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। साथ ही, राज्य पुलिस प्रशासन को अपराधों की रोकथाम में सक्षम बनाते हैं। इसके अलावा, फेंड्स ऑफ पुलिस (एफओपी) स्वयंसेवी सदस्य पुलिस के कामों में निष्पक्षता, पारदर्शिता और तटस्थता लाने का भी प्रयास करते हैं। इस तरह, ये सदस्य पुलिस में जनता के खोए हुए विश्वास को बहाल करने में मदद करते हैं। इसके बाद इसे राजस्थान में भी लागू किया गया था।

यह पहल काफी उपयोगी साबित होगी: एक्सपट्र्स कहते हैं कि सामुदायिक पुलिसिंग के रूप में ‘फ्रेंड्स ऑफ पुलिसÓ (एफओपी) का गठन एक बहुत ही अच्छी पहल है। मौजूदा वक्त में जिस तरह से पुलिस की साख गिर रही है। ऐसे में, आम जनता के बीच पुलिस की छवि सुधारने और राज्य के पुलिस बल को मजबूत करने के लिए यह पहल काफी उपयोगी साबित होगी। पुलिस के इस कदम का इस्तेमाल पुलिस और जनता के बीच नजदीकी बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

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