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ठेका प्रथा बंद करने की मांग, बिजली कर्मचारियों का राज्य सरकार के खिलाफ चल रहा प्रदर्शन

रायपुर। छत्तीसगढ़ बिजली कर्मचारी महासंघ के आव्हान पर भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध ठेका कर्मचारियों ने पावर कंपनियों का एकीकरण, निजीकरण पर रोक लगाने, संविदा कर्मचारियों को नियमित करने, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कैशलैस चिकित्सा सुविधा देने, नियमित, संविदा, ठेका कर्मचारियों का 25 लाख का बीमा समेत अन्य मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ गुरूवार को राजधानी रायपुर के धरनास्थल बूढ़ा तालाब में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में भारी संख्या में ठेका कर्मचारी शामिल थे। प्रदेश के सभी जिलों से बड़ी संख्या में कर्मचारी पहुंचे हुए थे। संघ संरक्षक नरोत्तम धृतलहरे ने बताया कि ठेका कर्मचारी बंद करना जरूरी है। इसमें कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। शिकायत के बाद भी ठेकेदार के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की जाती है। ठेका प्रथा बंद कर कार्यरत कर्मचारियों को विभाग में समायोजित किया जाना चाहिए। ठेका कर्मचारी पिछले 15 सालों से समस्याओं से जूझ रहे है। उनका ठेकेदारों के द्वारा खुलेआम शोषण किया जा रहा है। संघ के महामंत्री दिनेश साहू ने बताया कि बिजली विभाग का सुचारू संचालन के लिए ठेका कर्मचारियों पर ही आश्रित है। विभाग में नियमित कर्मचारियों की कमी है जिससे ठेका कर्मचारियों को वह कार्य भी करना पड़ता है जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

22 हजार ठेका कर्मचारी, अब तक सैकड़ों की मौत: संघ में महामंत्री दिनेश साहू ने बताया कि विभाग में नियमित कर्मचारी केवल 10 हजार ही रह गए हैं। प्रदेशभर में बिजली विभाग का काम ठेका कर्मचारियों पर आश्रित हो गया है। ठेका कर्मचारियों को बिजली संबंधित काम के अलावा ऐसे काम भी कराए जा रहे जिसके लिए वह अधिकृत नहीं है। इस कारण प्रदेश में सैकड़ों कर्मचारियों की मौत भी चुकी है, लेकिन किसी प्रकार के बीमा व मुआवजा नहीं मिला है।

न मुआवजा मिलता और न ही अनुकंपा नियुक्ति: अध्यक्ष गुलेन्द्र यादव ने बताया कि बिजली का सुचारू रूप से संचालन के लिए कर्मचारियों को जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है। इससे यदि कोई दुर्घटना होती है, तो ठेका कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं मिलता है। न ही अधिकारी आते हैं। दुर्घटना के बाद आश्रित परिवार को भी अनुकंपा नियुक्ति तक नहीं मिलती। 5 अक्टूबर को जांजगीर में ही एक घटना हुई, जिसमें भूपेंद्र पटेल घटना के शिकार हो गए। किसी प्रकार का लाभ नहीं मिला।

कर्मचारियों की ये हैं मांगें:
० जन घोषणा पत्र अनुसार सभी ठेका कर्मचारियों को नियमित करने।
० नियमितीकरण में विलंब की स्थिति में कंपनी में समायोजित करने।
० केंद्र सरकार के नए श्रम कानून के तहत न्यूनतम वेतनमान प्रति माह 18 हजार रुपए देने।
० कार्य के दौरान मृत्यु होने व शारीरिक अपंगता होने पर 25 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा।
० कार्य के दौरान मौत होने या शारीरिक अपंगता होने पर पीडि़त परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने।
० पूर्व में घटित घटनाओं की जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग।

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