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अवैध शराब बिक्री के खिलाफ महिलाएं लामबंद, आबकारी व डोंगरीपाली पुलिस सुस्त, प्रशिक्षु डीएसपी भी ग्रामीणों की उम्मीदों पर नहीं उतर सके खरा!

रायपुर। करीब छह महीने पहले विधानसभा में मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि प्रदेश के किसी भी जिले में शराब की अवैध बिक्री हुई तो आबकारी आयुक्त व संबंधित थाना क्षेत्र के प्रभारी जिम्मेदार होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई भी होगी। इसके बाद डीजीपी डीएम अवस्थी एक्शन मोड़ में आते हुए प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को वीडियो कांफ्रेसिंग व पत्र जारी कर कहा कि अवैध शराब की बिक्री, उत्पादन और सट्टा के मामले सामने आने पर तुरंत कड़ी कार्रवाई करें। किसी भी जिले में अवैध शराब की बिक्री और सट्टे का मामला सामने आने पर पर तत्काल संबंधित थाना प्रभारी को निलंबित कर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही संबंधित पुलिस अधीक्षक भी जिम्मेदार होंगे। छह महीने बाद अब यह आदेश पुरानी बात हो गई है और पुलिस अधीक्षक से लेकर थाना प्रभारी तक इस आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल चुके हैं। क्योंकि छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले के डोंगरीपाली थाना क्षेत्र में डीजीपी के इस आदेश का पालन होता नजर नहीं आ रहा है। रायगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 80 किमी दूर बरमकेला ब्लॉक के ग्राम पंचायत हट्टापाली, आश्रित ग्राम मंजूरपाली, जगदीशपुर, छिंदपतेरा, ग्राम पंचायत खम्हरिया, आश्रितग्राम कमलापानी, अकबरटोला, ग्राम पंचायत करपी, आश्रितग्राम टेकापत्थर, कर्रामाल, मौहापाली, खोल्हा, परधियापाली समेत आसपास के दर्जनों पंचायत में खुलेआम महुआ शराब बनाया व बेचा जा रहा है। अवैध शराब बिक्री पर आबकारी विभाग और डोंगरीपाली पुलिस अंकुश लगाने में विफल रहा है। हालांकि अब यहां शराबबंदी को लेकर गांव की महिलाएं लामबंद हो गई हैं। ग्राम पंचायत हट्टापाली के आश्रितग्राम जगदीशपुर में बुधवार को महिला समूह की महिलाओं ने मोर्चा खोलते हुए शराब माफियाओं द्वारा शराब बनाने वाली जगह में पहुंच कर उनके ठिकाने को ध्वस्त कर दिया। यही नहीं, शराब बनाने के लिए बोरी में भर कर रखे पॉस (महुआ फल) को भी फेंक दिया। महिलाओं ने गांव में ऐलान कर दिया है कि अगर अब कोई शराब बनाएगा और बेचेगा तो उनकी खैर नहीं। हालांकि महिलाओं को पुलिस व आबकारी विभाग से अब तक कोई सपोर्ट नहीं मिला है। महिलाओं ने बताया कि गांव के कुछ सदस्यों द्वारा अवैध रूप से महुआ शराब बना कर बेचा जाता है। शराब बिक्री होने से बाहर गांव के लोग भी आ आ कर प्रतिदिन शराब पीते हैं और शराब के नशे में रोज लड़ाई-झगड़ा होता रहता है। जिससे गांव के छोटे-छोटे बच्चों के जीवन पर भी बुरा असर पड़ रहा है। छोटे बच्चे और किशोर भी गांव में नशे के आदी हो जा रहे हैं। अपने बच्चों की सुरक्षित भविष्य के लिए अब महिलाओं ने ही मोर्चा संभाल लिया है।

सूचना देने पर भी नहीं पहुंचता अमला: महिलाओं का कहना है की हमलोग शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगाने गांव में लगातार बैठक ले कर किसी को गांव में शराब बिक्री नहीं करने देने की कोशिश करते हैं। उन्होंने बताया कि कई बार सूचना देने के बाद भी पुलिस विभाग के कर्मचारी नहीं पहुंचते हैं और न ही कोई अवैध शराब बिक्री करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होती है।

प्रशिक्षु डीएसपी के कुछ और ही चर्चे: डोंगरीपाली में प्रशिक्षु डीएसपी सतीश भार्गव की पोस्टिंग होने पर क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी कि अब शराब का अवैध कारोबार करने वाले लोगों पर कार्रवाई होगी, लेकिन अब तक डीएसपी ग्रामीणों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकें। हालांकि क्षेत्र में डीएसपी के कुछ और ही चर्चे हैं।

शायद ही कभी पहुंचा हो आबकारी अमला: रायगढ़ जिला मुख्यालय से ये गांव करीब 80 किमी दूर बसें है। आज तक इन गांवों में शायद ही कभी आबकारी अमला पहुंचा हो। बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय से भी कोई आबकारी अधिकारी-कर्मचारी कभी नहीं आते। इसके चलते शराब तस्करों के हौंसले सातवें आसमान पर है। हालांकि ब्लॉक मुख्यालय में तस्करों से जरूर चढ़ावा लिया जाता है।

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