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रायपुर। अब सरकारी व अद्र्ध शासकीय कार्यालय परिसरों में अब पेड़-पौधों की सूखी पत्तियों और घास को फेंका या जलाया नहीं जाएगा। हॉर्टिकल्चर वेस्ट यानी पेड़-पौधों से गिरी सूखी पत्तियों से अब कम्पोस्ट खाद तैयार किया जाएगा। आधुनिक तकनीक के माध्यम से इसका उपयोग कर कम्पोस्ट खाद बनाया जाएगा। इससे पर्यावरण प्रदूषण जहां कम होगा वहीं विभागों की आमदनी भी बढ़ेगी। इस संबंध में संभाग कमिश्रर जीआर चुरेंद्र ने रायपुर संभाग के सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर दिया है। संभाग आयुक्त द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि छग शासन द्वारा गौठान व गोधन न्याय योजना के तहत वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है। शासकीय कार्यालयों, संस्थाओं, आश्रम, छात्रावासों, स्कूलों, पंचायत भवनों के परिसरों, लैंप समितियों के परिसरों, धान खरीदी केंद्रों एवं अन्य अशासकीय निकायों व महाविद्यालियों के परिसरों में नए पुराने विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगे हुए हैं। इनके पत्तियों की सफाई कर जला दिया जाता है या फेंक दिया जाता है। उचित होगा कि उद्यान, कृषि, पंचायत, वन, पशु चिकित्सा विभाग आपस में समन्वय बनाकर कार्यालयों को प्राप्त आकस्मिक निधि के आबंटन राशि से तथा श्रमदान व जनसहयोग तथा समुदाय के सहयोग से सभी शासकीय-अद्र्धशासकीय कार्यालयों में 2-2 कम्पोस्ट पीट व नाडेफ टांका का निर्माण कर इसके लिए मिट्टी, गोबर, केंचुआ की व्यवस्था कराते हुए वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया जाए।
एक समिति का करना होगा गठन: इस योजना के क्रियान्वयन व संचालन के लिए जिपं सीईओ की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय समन्वय एवं क्रियान्वयन समिति बनाई जाएगी। इस समिति में उप संचालक कृषि को सचिव बनाया जाएगा। वहीं अन्य सदस्यों में डीएफओ, पशु चिकित्सा विभाग, शिक्षा विभाग, सहकारिता विभाग के जिला अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।
ब्लॉक मुख्यालयों में प्रशिक्षण क्रियान्वयन समिति: ब्लॉक मुख्यालयों में एसडीएम की अध्यक्षता में एक प्रशिक्षण सह क्रियान्वयन समिति बनाई जाएगी। इस समिति का काम संसाधनों का आंकलन करना, योजना बनाना और सभी विभागों के अमलों में से सदस्य नामांकित कर उन सदस्यों को ट्रेनिंग देना और उसके माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट पीट तैयार करना रहेगा।
पर्यावरण की होगी सुरक्षा– पेड़, फूल, पत्तियां गिरती रहती हैं और रोजाना इनकी सफाई की जाती है। वर्मी कंपोस्ट प्लांट होने की वजह से इस तरह के कूड़े से जैविक खाद बनाई जाएगी और पर्यावरण के संरक्षण में सहायता मिलेगी। प्लांट न होने की वजह से यह कूड़ा, कूड़े घर में फेंका जाता है। लेकिन अब इसका बेहतर इस्तेमाल किया जाएगा और इससे जैविक खाद बनाई जाएगी।
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