कांकेर। छत्तीसगढ़ में एक दुर्लभ प्रजाति का जीव मिला है। इस अनोखे जानवर को देखकर ग्रामीणों के साथ-साथ वन विभाग के अफसर भी हैरान हैं। ग्रामीणों से सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम ने दुर्लभ जीव को अपने संरक्षण में लिया है। छत्तीसगढ़ में बेहद कम नजर आने वाले इस जीव में यह क्षमता होती है कि यदि उसे किसी कमरे में बंद कर दिया जाए तो वह खुद कुंडी खोलकर निकल सकता है। इसके अलावा यह नाखूनों से 20 से 30 फीट तक सुरंग खोद सकता है। इसमें सोचने समझने की क्षमता इंसानों जैसी होती है। इसलिए इसे बेहद निर्भीक जानवर कहा जाता है। इस जानवर का नाम हनी बैजर है, इसे कबरबिज्जु भी कहा जाता है। जो छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के जंगल में मिला है।
बीते दिनों @KankerDistrict के कोटलभट्टी गांव में बेहद दुर्लभ जीव दिखा.
हनी बैजर नामक यह दुर्लभ जीव एक किसान को सड़क पर तड़पता मिला. वन विभाग इसे अपनी सुरक्षा में ले लिया है.सीता नदी अभ्यारण से लगे इन इलाकों में ऐसे कई दुर्लभ जीव देखने को मिलते हैं… pic.twitter.com/SMBqBfXktH
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) August 18, 2022
वन विभाग के मुताबिक उन्हें कोटलभट्ठी गांव के पास सड़क किनारे एक दुर्लभ जानवर देखे जाने की जानकारी मिली थी. वन विभाग की टीम जब मौके पर पहुंची तो वह भी हैरत में पड़ गई. दरअसल, ग्रामीणों ने जिस जीव को पकड़कर वन अमले को सौंपा, वह कोई आम जानवर नहीं बल्कि दुनिया का सबसे निर्भीक जानवर माना जाने वाला हनी बेजर था. हनी बेजर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में ‘मोस्ट फियरलेस क्रीचर‘ के नाम से दर्ज है. यह जीव बेहद खूंखार, निडर, बुद्धिमान और चालाक माना जाता है. यह संसार के संरक्षित जीवों में से एक है. वन विभाग की टीम ने हनी बेजर को अपने कब्जे में लिया है. उसकी देखभाल की जा रही है. बिज्जू प्रजाति के इस जीव की संख्या बीते डेढ़ दशक में तेजी से कम होने के कारण इसे विलुप्त वन्यजीवों की श्रेणी में रखा गया है. बस्तर के कांकेर क्षेत्र में दुर्लभ जीव हनी बेजर पहली बार दिखाई दिया है.
हनी बैजर के बारे में कहा जाता है कि यदि इसी किसी कमरे में बंद कर दिया जाए तो यह दरवाजे की कुंडी खोलकर, पत्थर, मिट्टी या डंडा दीवार से लगाकर उस पर चढ़कर भाग जाता है। ये जमीन खोदकर सुरंग बनाकर भी निकल भागता है। यह पहले परिस्थिति समझता है और फिर निकल भागने के लिए प्लानिंग करता है। कांकेर का कोटलभट्टी इलाका कांकेर, कोंडागांव और धमतरी जिला के अंतर्गत आता है। पास में सीतानदी अभयारण्य होने से उधर से ही इस जानवर के आने की संभावना जताई जा रही है।