Saturday, November 9, 2024
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चुनाव आयोग का छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, बिहार और यूपी में उपचुनावों की डेट का ऐलान, जानें कब होगी वोटिंग

नई दिल्ली/रायपुर। चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ कांकेर जिले के भानूप्रतापपुर विधानसभा सीट समेत ओडि़शा के पदमपुर, राजस्थान के सरदारशहर, बिहार के कुरहनी और उत्तर प्रदेश के मैनपुरी संसदीय सीट और रामपुर की विधानसभा सीट पर उपचुनाव के डेट का ऐलान कर दिया है। चुनाव आयोग ने शनिवार को छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में पांच विधानसभा सीटों और उत्तर प्रदेश में एक संसदीय सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा की। चुनाव आयोग के कार्यक्रम के अनुसार उपचुनाव 5 दिसंबर को होंगे और नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। छत्तीसगढ़ में कांकेर के भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट से मनोज मंडावी विधायक थे। उनके निधन के बाद वो सीट खाली हुई है। अब इसके लिए 5 दिसंबर को वोटिंग होगी।

 

21 नवंबर नाम वापसी की आखिरी तारीख : चुनाव आयोग ने पांच विधानसभा सीट और एक संसदीय सीट के लिए कराए जा रहे उपचुनाव के गैजेट की 10 नवम्बर को घोषणा होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 17 नवंबर है। 18 नवंबर को नामांकनों की जांच की जाएगी, जबकि नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 21 नवंबर है। पांच विधानसभा सीट और एक संसदीय सीट के उपचुनाव के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग पड़ेगी। और नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे और 10 दिसम्बर को उपचुनाव की कार्रवाई समाप्त हो जाएगी।

 

10 तारीख तक संपन्न हो जाएं चुनाव : आयोग के अनुसार इन सीटों पर 10 दिसंबर यानी शनिवार तक चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो जानी चाहिए। आयोग ने सभी मतदान केंद्रों पर उपचुनाव में ईवीएम और वीवीपैट का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि उपरोक्त संसदीय/विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदाता सूची अंतिम रूप से 5 जनवरी, 2022 को प्रकाशित की गई है। जिसकी योग्यता तिथि 01.01.2022 है और नामांकन करने की अंतिम तिथि तक अपडेटेड मतदाता सूची का इन चुनावों के लिए उपयोग किया जाएगा।

 

 

छग में चार सालों में पांचवी बार हो रहा है उपचुनाव : छत्तीसगढ़ के 22 सालों में अब तक 13 बार उप चुनाव हो चुके हैं। अब तक सबसे अधिक चार उपचुनाव 2008-13 के दौर में हुए। उस समय देवव्रत सिंह के सांसद बन जाने से खाली खैरागढ़ सीट पर उप चुनाव हुए। केशकाल में महेश बघेल, भटगांव में रविशंकर त्रिपाठी और संजारी बालोद में मदनलाल साहू के निधन के बाद उप चुनाव की नौबत आई। 2018 से 2023 के पहले चार सालों में चार उपचुनाव पहले ही हो चुके हैं। पहला उपचुनाव दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या के बाद कराया गया। दीपक बैज के सांसद चुन लिए जाने पर चित्रकोट में नया विधायक चुना गया। अजीत जोगी के निधन से खाली मरवाही विधानसभा और देवव्रत सिंह के निधन से खाली खैरागढ़ में उपचुनाव हुआ है। पिछले चार सालों में यह पांचवां उपचुनाव होगा। इस लिहाज से यह भी अपने आप में रिकॉर्ड है।

 

ऐसा रहा है भानुप्रतापपुर का चुनावी मिजाज : भानुप्रतापपुर से कांग्रेस विधायक और आदिवासी समाज के प्रभावशाली नेताओं में से एक मनोज सिंह मंडावी का 16 अक्टूबर को निधन हो गया। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। अस्पताल पहुंचने तक उनका निधन हो चुका था। संयुक्त मध्य प्रदेश के समय 1962 में पहली बार भानुप्रतापपुर का विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। पहले चुनाव में निर्दलीय रामप्रसाद पोटाई ने कांग्रेस के पाटला ठाकुर को हराया। 1967 के दूसरे चुनाव में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के जे हथोई जीते। 1972 में कांग्रेस के सत्यनारायण सिंह जीते। 1979 में जनता पार्टी के प्यारेलाल सुखलाल सिंह जीत गए। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के गंगा पोटाई की जीत हुई। 1990 के चुनाव में निर्दलीय झाड़ूराम ने पोटाई को हरा दिया। 1993 में भाजपा के देवलाल दुग्गा यहां से जीत गए। 1998 में कांग्रेस के मनोज मंडावी जीते। अजीत जोगी सरकार में मंत्री रहे। 2003 में भाजपा के देवलाल दुग्गा फि र जीत गए। 2008 में भाजपा के ही ब्रम्हानंद नेताम यहां से विधायक बने। 2013 में कांग्रेस के मनोज मंडावी ने वापसी की। 2018 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की।