Teacher Turned Maoist : शिक्षाकर्मी से ‘जीवन’ बन गया था नक्सली, 20 साल बाद पत्नी के साथ कर दिया आत्मसमर्पण

राजनांदगांव के मोहला-मानपुर क्षेत्र में माओवादी संगठन से वर्षों तक जुड़े रहे जीवन तुलावी और उनकी पत्नी अगाशा कोर्राम ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर लिया। एक समय गांव के शिक्षक रहे जीवन और लोककला मंच से उभरी अगाशा ने बंदूक छोड़कर पुनर्वास और शांति का मार्ग अपनाया है।

Teacher Turned Maoist
Highlights
  • शिक्षक से माओवादी बने जीवन और पत्नी अगाशा ने 20 साल बाद किया आत्मसमर्पण
  • जीवन डीवीसी और अगाशा एसीएम स्तर के माओवादी कैडर, संगठन में निभाई बड़ी भूमिका
  • आत्मसमर्पण पर 50-50 हजार की सहायता, 13 लाख की पुरस्कार राशि, पुनर्वास योजनाएं लागू

Teacher Turned Maoist : छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में माओवादी (Teacher Turned Maoist ) नेटवर्क को एक और करारा झटका लगा है। लंबे समय तक माओवादी संगठन से जुड़े रहे दंपत्ति जीवन उर्फ राम तुलावी (45 वर्ष) और अगाशा उर्फ आरती कोर्राम (38 वर्ष) ने सोमवार को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इन दोनों ने बीते करीब दो दशकों तक नक्सली संगठन में डीवीसी और एसीएम स्तर की जिम्मेदारियां निभाई थीं।

पुलिस प्रशासन का कहना है कि संगठन में लगातार बढ़ रहे भेदभाव, डर और अंदरूनी शोषण से परेशान होकर इन दोनों ने आत्मसमर्पण का फैसला लिया। राजनांदगांव रेंज के आईजी अभिषेक शांडिल्य ने इसे माओवाद (Teacher Turned Maoist ) के खिलाफ सुरक्षा बलों की एक मनोवैज्ञानिक जीत बताया है।

शिक्षाकर्मी के रूप में बच्चों को पढ़ाता था (Teacher Turned Maoist)

जीवन तुलावी कभी राजनांदगांव जिले के परवीडीह गांव में स्थित सरकारी स्कूल में शिक्षाकर्मी के रूप में बच्चों को पढ़ाता था। वर्ष 2000 के आसपास उसने शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और माओवादी विचारधारा से प्रभावित होकर जंगल की राह पकड़ ली। माओवादी संगठन में भी वह शिक्षा से जुड़ा रहा। जीवन उत्तर ब्यूरो की मोबाइल पालिटिकल स्कूल टीम में शामिल रहा और नए कैडरों को वैचारिक प्रशिक्षण देने का काम करता रहा।

लोककला मंच से माओवादी बनी अगाशा

जीवन की पत्नी अगाशा कोर्राम मानपुर क्षेत्र की रहने वाली है। वह शुरुआत में गांवों में लोककला कार्यक्रमों में भाग लेती थी। इसी दौरान वह माओवादियों के सांस्कृतिक संगठन सीएनएम (कल्चर एंड न्यूज मूवमेंट) से जुड़ी। लक्ष्मण देशमुख जैसे वरिष्ठ माओवादी नेताओं के संपर्क में आने के बाद वह संगठन में पूरी तरह सक्रिय हो गई। अगाशा ने रावघाट और माड़ डिवीजन में माओवादी गतिविधियों को लंबे समय तक अंजाम दिया।

बड़े नेताओं की मौत से बना तनाव (Teacher Turned Maoist )

आत्मसमर्पण के दौरान दंपत्ति ने खुलासा किया कि कई वरिष्ठ माओवादी नेताओं की मुठभेड़ में मौत के बाद संगठन में भारी असुरक्षा और डर का माहौल है। इसके साथ ही महिला कार्यकर्ताओं और छोटे स्तर के सदस्यों के साथ भेदभावपूर्ण रवैये के चलते संगठन से मोहभंग हो गया है।

पुनर्वास योजना के तहत सहायता, इनाम की राशि भी मिलेगी

पुलिस प्रशासन की ओर से आत्मसमर्पण करने वाले इस दंपत्ति (Teacher Turned Maoist ) को तत्काल 50-50 हजार रुपये की नकद सहायता दी गई है। इसके अतिरिक्त इनके पद के अनुसार घोषित इनामी राशि — जीवन के लिए 8 लाख रुपये और अगाशा के लिए 5 लाख रुपये — जल्द प्रदान की जाएगी।

प्रशासन इन दोनों का आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड बनाएगा। इसके साथ ही इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास और कौशल विकास प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि ये मुख्यधारा में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।

आइजी बोले – यह माओवादियों के लिए एक मनोवैज्ञानिक झटका

राजनांदगांव रेंज के आईजी अभिषेक शांडिल्य ने कहा कि इस आत्मसमर्पण से माओवादी संगठन को अंदर से बड़ा झटका लगेगा। यह माओवादियों के अंदर चल रही असंतोष की भावना को उजागर करता है। उन्होंने इसे सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी कामयाबी बताया और उम्मीद जताई कि यह आत्मसमर्पण अन्य माओवादी कैडरों को भी प्रेरित करेगा।

 

 

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