Oddisa Train Accident : ओडिशा के बालासोर जिले में हुई भयानक ट्रेन दुर्घटना के लगभग दो दिन बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें दुर्घटना की सुप्रीम कोर्ट एक सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में गठित एक विशेषज्ञ पैनल द्वारा उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।
याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई है, जिसमें भारतीय रेलवे को सुरक्षित बनाने और ट्रेन दुर्घटनाओं से सैकड़ों और हजारों लोगों के जीवन की रक्षा करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की अपील की गई है। याचिकाकर्ता-अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट से यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य प्रतिवादियों को एक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक आयोग स्थापित करने के लिए एक रिट जारी करने और तकनीकी विशेषज्ञों को रेलवे प्रणाली में वर्तमान जोखिम और सुरक्षा मापदंडों का विश्लेषण और समीक्षा करने का आग्रह करने के अलावा रेलवे सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए व्यवस्थित संशोधनों का सुझाव देने का आग्रह किया है।
याचिकाकर्ता-अधिवक्ता ने उक्त आयोग को अपनी जांच समाप्त करने और दो महीने की अवधि के भीतर शीर्ष अदालत (Supreme Court) में अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। याचिकाकर्ता ने विशेष रूप से, ‘कवचÓ नामक एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए दिशा निर्देश या निर्देश जारी करने की भी मांग की है, जिसे ट्रेन टक्करों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
कवच को एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है जब यह एक निर्दिष्ट दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन का पता लगाता है, लेकिन इसका कार्यान्वयन धीमा रहा है। रिपोट्र्स के मुताबिक, हादसे वाली ट्रेनों में यह सिस्टम नहीं लगाया गया था। 2 जून को शाम लगभग 7 बजे, चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस के कई डिब्बे बालासोर जिले के बहानगा बाज़ार स्टेशन से ठीक पहले पटरी से उतर गए और बगल की पटरी पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गए।
इसके बाद, बेंगलुरू-हावड़ा सुपरफस्ट एक्सप्रेस के डिब्बे भी पलट गए, जब यह तेज गति से पटरी से उतरी कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकरा गई, जो बगल के ट्रैक पर बिखरे हुए थे। रिपोर्ट बताती है कि आजादी के बाद से यह भारत में सबसे घातक रेल दुर्घटनाओं में से एक है।