Friday, November 8, 2024
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School Bus Overloaded : स्कूल वाहनों में ओवरलोड मिली तो खैर नहीं, कलेक्टर-एसपी को सरकार का सख्त फरमान जारी

Chhattisgarh News : शैक्षणिक संस्थाओं में सड़क सुरक्षा के नियमों (School Bus Overloaded) का सुनिश्चितीकरण कराने के लिए सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया गया है। इस संबंध में आवश्यकतानुसार नियमों के तहत कड़ी कार्यवाही करने कहा गया है। जिससे स्कूली विद्यार्थियों के यातायात में जोखिम और दुर्घटना की संभावना शून्य हो सके।

छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में जारी पत्र में कहा गया है कि प्रायः यह देखने में आ रहा है कि विशेषकर  शहरों में मोपेड़, दो पहिया वाहन, ऑटो रिक्शा, टैक्सी, मिनी बस आदि में ओवरलोड (School Bus Overloaded) होकर स्कूली विद्यार्थियों की आवाजाही हो रही है।

वाहनों (School Bus Overloaded) में क्षमता से अधिक संख्या में लटककर विद्यार्थी आवागमन कर रहें है। इसके पीछे शैक्षणिक संस्थाओं, वाहन मालिकों, चालकों, पालकों एवं स्वयं विद्यार्थियों द्वारा सड़क सुरक्षा एवं यातायात के सामान्य नियमों एवं मानदंडों का पालन नही किया जाना मुख्य कारण हैं। अक्सर ऐसी चुकें स्कूली विद्यार्थियों के लिए यह जानलेवा भी साबित होती रही है।

इस परिपेक्ष्य में स्मरण हो कि पूर्व में भी मुख्य सचिव द्वारा सड़क दुर्घटना रोकने, सड़क सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंधन करने, सड़क सुरक्षा समिति की बैठक और समीक्षा नियमित रूप से करने, सड़क दुर्घटनाओं के नियंत्रण के उपाय और प्रयास तथा सड़क सुरक्षा अभियान चलाने के संबंध में निर्देश दिए गए है।

सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश पर राज्य में अंतरविभागीय लीड एजेंसी (सड़क सुरक्षा) के माध्यम से सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे है। जिलों में खासकर शहरी और नगरीय इलाकों में स्कूली विद्यार्थियों को जोखिमपूर्ण दुर्घटना से बचाने की दिशा में परिवहन, पुलिस, शिक्षा, उच्च शिक्षा, नगरीय विकास, जनसम्पर्क विभाग सहित संबंधित हितधारकों

जैसे- शाला प्रबंधन समिति, पालक समिति, स्काउट एवं गाईड, एनसीसी, स्वयंसेवी संस्थाओं, युवा संगठनों, निजी शैक्षणिक संस्थाओं आदि के संयुक्त प्रयासों के साथ एक सुदीर्घ कार्ययोजना एवं रणनीति बनाकर उनका कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए। इसकी समयबद्ध तरीके से मानिटरिंग भी होनी चाहिए। आवश्यकतानुसार नियमों के तहत कड़ी कार्यवाही भी की जाए, जिससे स्कूली विद्यार्थियों के यातायात में जोखिम और दुर्घटना की संभावना शून्य हो सके।