जगदीश पटेल/रायपुर : छत्तीसगढ़ की सारंगढ़ विधानसभा (Sarangarh Vidhansabha) सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित सीट है। मौजूदा समय में यहां से कांग्रेस के उत्तरी जांगड़े विधायक हैं। इस सीट की खास बात यह है कि यहां पांच साल बाद विधायक बदलने का रिवाज है। हालांकि इस बार यहां दिलचस्प मुकाबला होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
सारंगढ़ (Sarangarh Vidhansabha) की सियासी इतिहास की बात की जाए तो कभी यहां की राजनीति राजपरिवार के गिरिविलास पैलेस से संचालित होती थी। वक्त बदला और हालात बदले तो राज परिवार ने अब राजनीति से दूरी बना ली है। इसी का नतीजा है कि अब उनकी दखलअंदाजी नजर नहीं आती। सारंगढ़ को कभी कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था, लेकिन एक ऐसा दौर भी आया जब बीएसपी यहां मजबूत पकड़ बनाने में कामयाब रही।
बसपा के कामदा जोल्हे ने 1998 और 2003 में इस सीट पर जीत हासिल करके इसे पार्टी का मजबूत किला बना दिया था। हालांकि 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी पद्मा मनहर ने सारंगढ़ में चुनाव जीतकर इस मिथक को तोड़ दिया, लेकिन 2013 में बीजेपी ने इस सीट को कांग्रेस से छीन लिया। पांच साल बाद फिर मतदाताओं ने अपना विधायक बदल दिया और कांग्रेस लहर में उत्तरी गनपत जांगड़े 52 हजार 389 वोटों से चुनाव जीत गई।
नए जिले का गठन बढ़ाएगी टेंशन : नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के अस्तित्व में आने से निश्चित तौर पर कांग्रेस का आधार बढ़ा है। भाजपा भी इस सत्य से पूरी तरह से इत्तेफ ाक रखती है। हालांकि नए जिले का गठन कांग्रेस के लिए मुसीबत भी खड़ी कर सकती है। दरअसल, इस जिले में शामिल बरमकेला व सरिया ब्लॉक के रहवासी रायगढ़ जिले में यथावत रहना चाहते थे। इसके लिए सड़क से सीएम हाउस व न्यायलय तक लंबी लड़ाई। पर कामयाब नहीं हुए। ऐसे में बरमकेला क्षेत्र के वोटर्स कांग्रेस की टेंशन बढ़ा सकते हैं।
बसपा से आए नेता भाजपा को बनाएंगे मजबूत : सारंगढ़ विधानसभा (Sarangarh Vidhansabha) मेें बसपा से लगातार दो बार विधायक रहीं सुश्री कामदा जोल्हे अब भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। इसके अलावा 2018 विधानसभा चुनाव में बसपा से विधायक प्रत्याशी रही अरविंद खटकर भी अब बीजेपी में हैं। पिछले चुनाव में अरविंद खटकर को 31 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। ऐसे में बसपा के दोनों कद्दावर नेता के बीजेपी में आने से पार्टी निश्चित तौर पर मजबूत नजर आ रही है।
बीजेपी से हैं ये दावेदार : सारंगढ़ विधानसभा (Sarangarh Vidhansabha) सीट पर बीजेपी से दावेदारों की लंबी सूची है जिनमें बसपा से आए सुश्री कामदा जोल्हे, अरविंद खटकर, देवेन्द्र रात्रे, हरिनाथ खूंटे, मनोज लहरे, देवकुमारी लहरे, मीरा धरम जोल्हे, नंदिनी वर्मा के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। माना जा रहा है कि यहां बीजेपी किसी नए चेहरे पर दांव लगाएगी। सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कई पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं ने सारंगढ़ विधानसभा क्षेत्र में डेरा डाल दिया है और संघ परिवार की यह सक्रियता नाहक नहीं है। इन तमाम गतिविधियों के बीच भाजपा का पूरा फ ोकस एक ऐसे चेहरे पर है जिसके सहारे पार्टी की चुनावी नैय्या पार लग सके।
कांग्रेस में तीन नेता लगा रहे जोर : सीटिंग एमएलए उत्तरी जांगड़े की स्थिति वर्तमान में मजबूत है। मगर कई विधायकी के लिए दावेदारी करते हुए नजर आ रहे हैं। इनमें पूर्व विधायक पदमा मनहर, जिला पंचायत सदस्य विलास सारथी, जिला पंचायत सभापति अनिका विनोद भारद्वाज भी जोर लगा रही। 2008 विधानसभा चुनाव जीती पदमा मनहर को पार्टी ने दोबारा 2013 में प्रत्याशी बनाया था, तब वे हार गई थी। ऐसे में संभावना है कि उत्तरी जांगड़े की टिकट शायद ही पार्टी काटेगी।